Bihar Elections 2025 : तेजस्वी-राहुल की जोड़ी मिथिलांचल में दिखाएगी दम, दो बड़ी रैलियों से करेंगे चुनावी शंखनाद

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News India Live, Digital Desk :  बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी जमीन तैयार होने लगी है। महागठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और एनडीए (NDA) को कड़ी टक्कर देने के लिए अपनी कमर कस ली है। इसी रणनीति के तहत, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव एक साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। खबर है कि दोनों नेता जल्द ही मिथिलांचल के दो प्रमुख शहरों, मुजफ्फरपुर और दरभंगा, में संयुक्त रैलियों को संबोधित करेंगे।

इन रैलियों को बिहार में महागठबंधन के चुनावी अभियान का औपचारिक शंखनाद माना जा रहा है। इसका मकसद न सिर्फ कार्यकर्ताओं में जोश भरना है, बल्कि पूरे मिथिलांचल क्षेत्र में एक मजबूत सियासी संदेश देना भी है।

क्यों चुना गया मिथिलांचल का इलाका?

मिथिलांचल, जिसमें मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे महत्वपूर्ण जिले आते हैं, बिहार की राजनीति में एक खास स्थान रखता है। यह क्षेत्र परंपरागत रूप से सवर्ण, विशेषकर ब्राह्मण और भूमिहार मतदाताओं के प्रभाव वाला माना जाता है, जो हाल के वर्षों में BJP का मजबूत गढ़ बनकर उभरा है।

घोषणापत्र भी हो सकता है जारी

सूत्रों की मानें तो इन रैलियों के दौरान महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपना संयुक्त घोषणापत्र (मेनिफेस्टो) भी जारी कर सकता है। इस घोषणापत्र में 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को फिर से दोहराए जाने की उम्मीद है, जो तेजस्वी यादव का सबसे बड़ा चुनावी वादा रहा है। इसके अलावा, किसानों, महिलाओं और छात्रों के लिए भी कई बड़े ऐलान किए जा सकते हैं।

प्रियंका गांधी भी संभालेंगी मोर्चा

इन दो बड़ी रैलियों के अलावा, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी बिहार में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभालेंगी। उनकी रैलियां विशेष रूप से महिला मतदाताओं को लुभाने और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने पर केंद्रित होंगी।

पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में महागठबंधन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। अब कांग्रेस के साथ मिलकर, तेजस्वी यादव 2020 की उस सफलता को दोहराना चाहते हैं और सत्ता में वापसी का रास्ता साफ करना चाहते हैं। राहुल और तेजस्वी की यह जोड़ी बिहार के चुनावी रण में क्या कमाल दिखाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि इन रैलियों ने चुनावी सरगर्मी को काफी बढ़ा दिया है।

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