Bihar DGP's strong statement: बाल यौन उत्पीड़न रोकने पर पुलिस के खिलाफ आंदोलन दुर्भाग्यपूर्ण, जनता को सफेदपोश अपराधियों के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए
News India Live, Digital Desk: Bihar DGP's strong statement: बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने राज्य में 'सफेदपोश' शक्तिशाली/प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा बाल यौन उत्पीड़न Child Sexual Abuse की घटनाओं और इसे रोकने के प्रयास में लगी पुलिस के खिलाफ हो रहे आंदोलनों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. डीजीपी ने कहा कि कुछ लोग अपनी पहुंच का फायदा उठाकर बाल यौन उत्पीड़न जैसा घिनौना और जघन्य अपराध कर रहे हैं. ऐसे अपराधियों के खिलाफ पूरे समाज को एकजुट होकर आगे आना चाहिए और एक मजबूत आंदोलन छेड़ना चाहिए. हालांकि, उन्होंने हैरानी जताई कि जनता ऐसा करने के बजाय, इन अपराधों को रोकने की कोशिश करने वाली पुलिस के खिलाफ ही आंदोलन कर रही है. डीजीपी विनय कुमार बुधवार को सरदार पटेल भवन स्थित बिहार पुलिस मुख्यालय सभागार में 'मानव तस्करी के विरुद्ध विश्व दिवस' पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
आरा और नवादा का दिया उदाहरण: जनता से पूछा- किसके खिलाफ आंदोलन?
डीजीपी विनय कुमार ने अपने बयान के पक्ष में आरा (Arrah) और नवादा (Nawada) ज़िलों में हुई हालिया घटनाओं का उदाहरण भी दिया. इन उदाहरणों से उनका तात्पर्य यह था कि जब पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो कई बार कुछ वर्ग विरोध प्रदर्शन शुरू कर देते हैं, जिससे पुलिस के प्रयासों को झटका लगता है. डीजीपी ने सवाल किया कि असली अपराधी कौन हैं और जनता को किसके खिलाफ खड़े होने की ज़रूरत है.
मानव तस्करी: दूसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध
'मानव तस्करी' एवं 'ट्रांसजेंडर मुद्दे' पर आयोजित इस कार्यशाला में डीजीपी ने इस गंभीर मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि 'नारकोटिक्स' (मादक पदार्थों की तस्करी) के बाद मानव व्यापार (Human Trafficking) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और तेज़ी से बढ़ता हुआ संगठित अपराध है, जिसमें अपराधियों द्वारा अवैध तरीके से बड़ी आय अर्जित की जाती है. डीजीपी ने इस विषय पर बड़े स्तर पर विचार-मंथन (Manthan) और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने मानव तस्करी के शिकार बच्चों के दर्द को समझते हुए कहा कि "किसी परिवार में हत्या जैसी घटना भी कुछ समय के बाद विस्मृत हो जाती है, लेकिन किसी बच्चे के गुमशुदा होने या तस्करी का दर्द पूरे परिवार को ज़िंदगी भर सालता रहता है."
पुलिसकर्मियों को निर्देश: "यह हमारा मूल काम है!"
अपने संबोधन में डीजीपी ने पुलिसकर्मियों को सख्त निर्देश दिए कि वे 'मानव तस्करी' और बाल यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं को 'अतिरिक्त कार्य' न समझें. उन्होंने जोर दिया कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें पुलिस अपने "मूल काम" के हिस्से के रूप में देखें और पूरी संवेदनशीलता एवं तत्परता के साथ पूरा करें. डीजीपी ने आगे कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर सभी हितधारकों (Stakeholders) को एकजुट होकर लड़ने की ज़रूरत है, ताकि अपराधियों को सबक सिखाया जा सके और पीड़ितों को न्याय मिल सके. इस मौके पर सीआईडी के एडीजी पारसनाथ, एडीजी कमजोर वर्ग अमित कुमार जैन सहित कई संगठनों से जुड़े गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
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