Bihar Deputy CM News : भाजपा ने फिर खेला भूमिहार कार्ड ,विजय सिन्हा को क्यों सौंपी गई इतनी बड़ी जिम्मेदारी?

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News India Live, Digital Desk: बिहार की राजनीति में चेहरों का खेल बड़ा पुराना है, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो भीड़ में भी अपनी अलग पहचान बना लेते हैं। पटना में आज हुई हलचल के बाद एक नाम फिर से सबकी जुबां पर है—विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha)

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर उन पर अपना भरोसा जताया है और उन्हें विधायक दल का उप-नेता चुना है। यानी बिहार की नई सरकार में वे एक बार फिर उप-मुख्यमंत्री (Deputy CM) की कुर्सी संभालते नजर आ सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर विजय सिन्हा में ऐसा क्या खास है कि पार्टी बार-बार उन पर इतना बड़ा दांव लगाती है?

चलिए, इनकी जिंदगी के पन्नों को थोड़ा पलटकर देखते हैं।

संघर्ष से शुरू हुआ सफर (Early Life)
विजय सिन्हा वो नेता नहीं हैं जिन्हें राजनीति विरासत में मिली हो। वे जमीन से जुड़े नेता हैं। उनका जन्म 1967 में हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी कि वे पेशे से सिविल इंजीनियर (Diploma in Civil Engineering) हैं। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव समाज सेवा और राष्ट्रवाद की तरफ हो गया था। वे छात्र जीवन से ही ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़ गए थे। यह वही नर्सरी है जहाँ से बीजेपी के कई दिग्गज निकले हैं।

तेवर जो पहचान बन गए
विजय सिन्हा की राजनीति की गाड़ी लखीसराय (Lakhisarai) सीट से रफ्तार पकड़ती है। वे वहां से लगातार विधायक बनते रहे हैं। लेकिन उन्हें असली पहचान तब मिली जब वे बिहार विधानसभा के स्पीकर (Speaker) बने।

आपको याद होगा विधानसभा का वो वाकया, जब सदन के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्पीकर की कुर्सी पर बैठे विजय सिन्हा के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। उस वक्त उन्होंने दिखा दिया था कि वे किसी के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं, चाहे सामने मुख्यमंत्री ही क्यों न हों। उनकी यही बेबाकी और नियम-कायदों पर अडिग रहने की आदत बीजेपी हाईकमान को भा गई।

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर आक्रामकता
जब बीजेपी विपक्ष में थी, तब विजय सिन्हा 'नेता प्रतिपक्ष' बने। उन्होंने सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी आक्रामक शैली और संगठन के प्रति वफादारी ने उन्हें पार्टी का एक बड़ा 'भूमिहार चेहरा' बना दिया है।

जातीय समीकरण (Caste Factor)
बिहार में जाति की बात किए बिना राजनीति अधूरी है। विजय सिन्हा भूमिहार समाज से आते हैं, जो परंपरागत रूप से बीजेपी का मजबूत वोट बैंक रहा है। उनको अहम जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने अपने कोर वोटर्स को खुश करने के साथ-साथ यह संदेश भी दिया है कि वे अपने वफादार और तेज-तर्रार नेताओं का सम्मान करना जानते हैं।

अब जब एनडीए (NDA) की नई सरकार बन रही है, तो विजय सिन्हा का अनुभव और उनके तेवर सरकार चलाने में कितने काम आते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इतना तय है, यह 'सिन्हा' दहाड़ना नहीं भूला है!

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