Bihar Assembly Election : नीतीश के सिपाही का वो बयान, जिसने एक झटके में बीजेपी को उसकी औकात याद दिला दी

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News India Live, Digital Desk:  Bihar Assembly Election : बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी दूर है, लेकिन एनडीए (NDA) के घर में सीटों के बंटवारे को लेकर तलवारें अभी से खिंच गई हैं. बाहर से सब कुछ 'ऑल इज वेल' दिखाने की कोशिश हो रही है, लेकिन अंदर ही अंदर लड़ाई इतनी बड़ी है कि अब बयानबाजी भी शुरू हो गई है. ताज़ा और सबसे तीखा बयान आया है जेडीयू (JDU) की तरफ से, जिसने एनडीए के बाकी सहयोगियों, खासकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है.

जेडीयू के कद्दावर नेता और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले संजय झा ने सीटों के बंटवारे पर ऐसा बयान दे दिया है, जिसे राजनीति के जानकार जेडीयू का 'अहंकार' बता रहे हैं.

क्या कहा संजय झा ने?

संजय झा ने दो टूक शब्दों में कहा, "सिद्धांत सीधा है. जेडीयू अपनी जीती हुई कोई भी सीट किसी भी हाल में किसी और पार्टी के लिए नहीं छोड़ेगी, चाहे कोई कितना भी मांगे."

यह सिर्फ एक बयान नहीं है, बल्कि जेडीयू की तरफ से बीजेपी और अन्य सहयोगियों को एक सीधा संदेश है. संदेश यह है कि सीटों के बंटवारे में 'बिग ब्रदर' तो जेडीयू ही रहेगा और उसकी शर्तों पर ही बात होगी. जेडीयू इस समय बिहार में 115 सीटों पर काबिज है, और संजय झा के बयान का सीधा मतलब है कि इन 115 सीटों पर तो कोई और पार्टी दावा करने की सोचे भी नहीं.

इस बयान के पीछे का असली खेल क्या है?

नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति का 'चाणक्य' माना जाता है, और उनके करीबी नेता का यह बयान बिना सोचे-समझे नहीं दिया गया है. इसके पीछे कई बड़ी रणनीतिक वजहें हैं:

  1. दबाव की राजनीति: चुनाव से पहले ही अपने सहयोगियों पर दबाव बना देना, ताकि जब सीटों के बंटवारे की टेबल पर बैठा जाए, तो जेडीयू का पलड़ा भारी रहे.
  2. कार्यकर्ताओं को संदेश: अपने कार्यकर्ताओं और विधायकों को यह संदेश देना कि घबराने की ज़रूरत नहीं है, उनकी सीट सुरक्षित है. इससे पार्टी में भगदड़ का माहौल नहीं बनता.
  3. बीजेपी को आईना: हाल के दिनों में बीजेपी बिहार में खुद को बड़े भाई के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है. जेडीयू का यह बयान बीजेपी को यह याद दिलाने जैसा है कि बिहार में आज भी नीतीश कुमार ही सबसे बड़ा चेहरा हैं.
  4. चिराग पासवान पर निशाना: यह बयान एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के लिए भी एक संदेश हो सकता है, जो अक्सर जेडीयू की सीटों पर अपना दावा करते रहे हैं.

अब देखना यह है कि जेडीयू के इस सख्त और कुछ हद तक 'अहंकारी' समझे जा रहे बयान पर बीजेपी और एनडीए के बाकी घटक दलों की क्या प्रतिक्रिया आती है. क्या वे जेडीयू की इस 'दादागिरी' को स्वीकार कर लेंगे, या फिर बिहार एनडीए में सीटों को लेकर महाभारत होना अभी बाकी है? एक बात तो तय है, यह बयान बिहार की राजनीति में आने वाले तूफान का संकेत है.

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