Bihar Assembly Election : बिहार चुनाव से पहले NDA-MGB में मची हलचल, नामांकन की अंतिम तिथि पर खतरा
News India Live, Digital Desk: Bihar Assembly Election : बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं, लेकिन प्रमुख राजनीतिक गठबंधनों - एनडीए (NDA) और महागठबंधन (MGB) - में सीटों के बँटवारे (Seat Sharing) पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है. यह मुद्दा अब एक बड़े अड़ंगे में बदल गया है, जिससे चुनावी नामांकन (Nomination) प्रक्रिया में देरी होने की आशंका बढ़ गई है. दोनों ही खेमे में कई दल शामिल हैं, और हर कोई अपने हिस्से की सीटों पर दावा ठोक रहा है, जिससे आपसी सहमति बन पाना मुश्किल साबित हो रहा है.
NDA और MGB के मुख्य दल और उनकी चुनौती:
1. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA):
- मुख्य दल: भारतीय जनता पार्टी (BJP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP - अब दो धड़ों में, चिराग पासवान और पशुपति पारस का खेमा), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM).
- चुनौती: JDU और BJP सबसे बड़ी पार्टियाँ होने के नाते अधिक सीटों की दावेदार हैं. LJP के दोनों धड़ों को साधना भी BJP के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि दोनों ही अपने हिस्से की सीटें चाहते हैं. उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं को भी खुश करना NDA के लिए जरूरी है.
- फिलहाल की स्थिति: सीटों को लेकर मंथन जारी है, लेकिन सहमति तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि सभी सहयोगी दल ज्यादा सीटें चाहते हैं.
2. महागठबंधन (MGB):
- मुख्य दल: राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस (INC), वामपंथी दल (CPIML, CPI, CPM), मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) - हालांकि इनके रिश्ते थोड़े जटिल रहे हैं.
- चुनौती: RJD सबसे बड़े दल के रूप में अपनी बात ऊपर रख रहा है, जिससे कांग्रेस और वाम दल संतुष्ट नहीं हैं. कांग्रेस अपनी पारंपरिक सीटों और पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों की मांग कर रही है, लेकिन RJD उन्हें कम सीटें देने को तैयार है. VIP का रुख भी साफ नहीं है, वे अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं.
- फिलहाल की स्थिति: यहाँ भी आंतरिक कलह और खींचतान जारी है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी सीटों के बँटवारे को लेकर दबाव है.
नामांकन में देरी का खतरा:
चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन प्रक्रिया एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरी करनी होती है. यदि राजनीतिक दल अंतिम समय तक सीटों पर फैसला नहीं ले पाते हैं, तो इसका सीधा असर उम्मीदवारों के नामांकन पर पड़ेगा.
- तैयारी का समय कम: उम्मीदवारों को अपनी सीट और पार्टी की स्थिति स्पष्ट न होने पर चुनाव प्रचार और नामांकन की तैयारी के लिए बहुत कम समय मिलेगा.
- बागियों की समस्या: सीट न मिलने पर असंतुष्ट नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे दोनों ही गठबंधन को नुकसान होगा.
यह साफ है कि NDA और महागठबंधन, दोनों ही गठबंधनों के लिए सीटों का बँटवारा अब सिर्फ 'इंतजार' नहीं, बल्कि 'परीक्षा' का समय बन गया है. बिहार की चुनावी लड़ाई में जो गठबंधन इस मुद्दे को शांतिपूर्ण और समय पर सुलझा लेगा, उसे बढ़त मिलने की संभावना है.
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