घर खरीदारों के लिए बड़ी राहत! अब ED की जब्त प्रॉपर्टी से भी मिलेगा फंसे हुए प्रोजेक्ट्स को जीवनदान
अगर आपका पैसा भी किसी ऐसे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में फंसा है, जो बिल्डर के दिवालिया होने की वजह से अटक गया है, तो यह खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है. सरकार ने एक ऐसा नया नियम बनाया है, जिससे उन हजारों घर खरीदारों और बैंकों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनकी मेहनत की कमाई अटके हुए प्रोजेक्ट्स में लगी है.
यह नया नियम उन दिवालिया कंपनियों से जुड़ा है, जिनकी प्रॉपर्टी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में जब्त कर लिया था.
क्या है यह नया नियम, सरल भाषा में समझिए
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) ने साफ कर दिया है कि अगर किसी दिवालिया बिल्डर की प्रॉपर्टी को ED ने अपने कब्जे में ले रखा है, तो अब उसे वापस छुड़ाया जा सकेगा. यह छुड़ाई गई प्रॉपर्टी या पैसा सीधे तौर पर उस रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने में इस्तेमाल होगा, ताकि घर खरीदारों को उनकी छत मिल सके और बैंकों को उनका पैसा वापस मिल सके.
पहले ED की कार्रवाई के कारण ये संपत्तियां ब्लॉक हो जाती थीं, जिससे प्रोजेक्ट का काम वहीं का वहीं रुक जाता था. लेकिन अब इन संपत्तियों को वापस लाकर दिवालिया प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, जिससे अटके हुए प्रोजेक्ट्स को नई रफ्तार मिलेगी.
इस नियम से कैसे बदलेगी तस्वीर?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
- तेजी से पूरे होंगे रुके हुए प्रोजेक्ट: जो प्रोजेक्ट्स ED की कार्रवाई की वजह से सालों से बंद पड़े थे, अब उनके दोबारा शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है.
- घर खरीदारों को मिलेगी राहत: सबसे बड़ा फायदा उन आम लोगों को होगा, जो अपनी जिंदगी भर की पूंजी लगाकर भी घर का इंतजार कर रहे हैं.
- बैंकों का पैसा लौटेगा: बैंकों को भी दिवालिया कंपनियों से अपने लोन की वसूली करने में आसानी होगी.
यह नया सिस्टम काम कैसे करेगा?
IBBI ने ED के साथ मिलकर एक भरोसेमंद प्रक्रिया बनाई है, ताकि इस सुविधा का गलत इस्तेमाल न हो.
- एक लिखित आश्वासन देना होगा: दिवालिया प्रक्रिया की देखरेख करने वाले अधिकारी (Insolvency Professional) को ED को एक लिखित आश्वासन देना होगा.
- पैसा सिर्फ प्रोजेक्ट पर खर्च होगा: ED से वापस मिली संपत्ति या पैसे का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ उसी रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए किया जाएगा. इसे किसी और काम में नहीं लगाया जा सकेगा.
- हर तीन महीने में हिसाब देना होगा: अधिकारी को हर तीन महीने में ED को यह रिपोर्ट देनी होगी कि वापस मिली संपत्ति का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है.
- पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी: जो भी नई कंपनी या निवेशक उस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आगे आएंगे, उन्हें यह साफ-साफ बताया जाएगा कि ये संपत्तियां ED से वापस मिली हैं और इन पर कुछ शर्तें लागू हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इन शर्तों से ED को भरोसा मिलेगा कि उनकी जब्त की हुई संपत्ति का गलत इस्तेमाल नहीं होगा, जिससे वे इसे जल्दी रिलीज करने में संकोच नहीं करेंगे. हालांकि, यह नियम जमीन पर कितना सफल होता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इसने उम्मीद की एक नई किरण जरूर जगाई है.
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