अमृतसर से बड़ी खबर अकाल तख्त ने विर्सा सिंह वालतोहा को दी बड़ी राहत, 10 साल का प्रतिबंध हटा
News India Live, Digital Desk : सोमवार का दिन पंजाब की राजनीति और पंथक हलकों के लिए काफी हलचल भरा रहा। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के दिग्गज नेता और अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर विर्सा सिंह वालतोहा (Virsa Singh Valtoha) के लिए आज अकाल तख्त साहिब से राहत भरी खबर आई है।
आपको याद होगा कि कुछ समय पहले जत्थेदारों पर सवाल उठाने और बागी तेवर अपनाने के चलते उन्हें "पंथ से बागी" करार देते हुए अकाली दल से 10 साल के लिए निष्कासित (Ban) कर दिया गया था। उस फैसले ने उनका सियासी करियर लगभग खत्म कर दिया था। लेकिन आज, उन्होंने अकाल तख्त के सामने पेश होकर अपनी गलती मानी, जिसके बाद उन्हें "घर वापसी" की इजाजत मिल गई है।
अकाल तख्त पर हुआ क्या?
विर्सा सिंह वालतोहा आज सुबह एक विनम्र सिख की तरह श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हुए। उन्होंने पंज सिंह साहिबान के सामने हाथ जोड़कर अपना माफ़ीनामा पेश किया। उन्होंने माना कि जत्थेदारों के खिलाफ बोलने की उनसे "भूल" हुई थी और वो भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे।
उनकी इस विनम्रता और स्पष्टीकरण को देखते हुए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने फैसला सुनाया। उन्होंने आदेश दिया कि वालतोहा पर अकाली दल में शामिल होने पर लगा 10 साल का प्रतिबन्ध तुरंत प्रभाव से हटाया जाता है। इसका सीधा मतलब है कि अब वे फिर से अकाली दल के नेता के तौर पर काम कर सकेंगे।
राहत मिली, पर 'तनख्वाह' (सजा) भी मिली
सिख पंथ की परंपरा रही है कि माफी सिर्फ जुबानी नहीं होती, उसे 'सेवा' करके साबित करना होता है। अकाल तख्त ने बैन हटाने के साथ ही वालतोहा को धार्मिक तनख्वाह (सजा) भी सुनाई है। उन्हें अपने अहंकार को मारने के लिए यह सब करना होगा:
- झाड़ू-बर्तन की सेवा: उन्हें तख्त श्री दमदमा साहिब, तख्त श्री केसगढ़ साहिब (आनंदपुर साहिब) और स्वर्ण मंदिर में जाकर संगत के जूठे बर्तन धोने होंगे, लंगर पकाना होगा और झाड़ू लगाने की सेवा करनी होगी।
- जूते साफ करना: जोड़े घर (Joda Ghar) में संगत के जूतों की धूल साफ करनी होगी।
- पाठ करना: सेवा पूरी होने के बाद उन्हें जपजी साहिब का पाठ करना होगा और 500 रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग चढ़ानी होगी।
सियासी मायने क्या हैं?
वालतोहा अकाली दल का एक मजबूत चेहरा माने जाते हैं। सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे के बाद पार्टी पहले ही संकट में है। ऐसे में वालतोहा का वापस आना पार्टी के मजीठा और पट्टी क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के लिए ऑक्सीजन का काम करेगा। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इतनी कड़ी 'सेवा' पूरी करने के बाद उनका राजनीतिक अंदाज बदलता है या वे वही पुराने तेवर बरकरार रखते हैं।
फिलहाल, सिख संगत ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे अकाल तख्त की सर्वोच्चता की जीत बताया है।
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