रुद्राक्ष को धारण करने से पहले जान लें ये अचूक नियम, वरना क्रोधित हो सकते हैं महादेव
सावन का पवित्र महीना हो या महाशिवरात्रि का पावन पर्व, भगवान शिव के भक्तों के लिए रुद्राक्ष (Rudraksha) धारण करने से बड़ा कोई सौभाग्य नहीं होता। रुद्राक्ष को केवल एक साधारण मनका या बीज समझना एक बहुत बड़ी भूल होगी। हिंदू धर्म में, विशेषकर शैव परंपरा में, रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का जीवंत प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी, इसीलिए इसे धारण करने वाले पर महादेव की विशेष कृपा बनी रहती है।
माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन और सही विधि-विधान से रुद्राक्ष धारण करता ਹੈ, उसके सभी दुःख, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट हो जाती हैं और उसे स्वास्थ्य, धन, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
लेकिन, रुद्राक्ष जितना शक्तिशाली है, इसे धारण करने के नियम भी उतने ही कठोर हैं। अगर इन नियमों का पालन न किया जाए, तो यह पवित्र मनका अपना शुभ प्रभाव खो देता है और कई बार इसके अशुभ परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। तो चलिए, आज हम आपको रुद्राक्ष धारण करने से पहले, दौरान और बाद के उन सभी महत्वपूर्ण नियमों के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिनका पालन करना हर धारक के लिए अनिवार्य है।
क्या है रुद्राक्ष और क्यों है यह इतना पवित्र?
'रुद्राक्ष' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - 'रुद्र' (भगवान शिव का एक नाम) और 'अक्ष' (आंखें या आंसू)। इस प्रकार, रुद्राक्ष का अर्थ है 'भगवान रुद्र के आंसू'। यह एक पेड़ का फल है, जिसके अंदर से यह चमत्कारी बीज निकलता है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं, और हर मुखी का अपना एक अलग महत्व और प्रभाव होता है।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले की तैयारी (प्राण प्रतिष्ठा)
किसी भी रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसे सिद्ध और प्राण प्रतिष्ठित करना बेहद ज़रूरी है। बिना सिद्ध किए यह सिर्फ एक साधारण बीज के समान होता है।
- शुद्धिकरण: सबसे पहले रुद्राक्ष को गंगाजल या कच्चे दूध से स्नान कराकर शुद्ध करें।
- पूजा स्थान पर रखें: इसे एक साफ लाल कपड़े पर अपने घर के पूजा स्थान पर रखें।
- पूजा करें: इस पर चंदन का तिलक लगाएं, धूप-दीप दिखाएं और फूल अर्पित करें।
- मंत्र जाप: इसके बाद, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करके इसे अभिमंत्रित करें।
- पहनने का सही समय: इसे धारण करने का सबसे शुभ दिन सोमवार या शिवरात्रि होता है। इसे हमेशा स्नान करने के बाद, साफ वस्त्र पहनकर ही धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के 10 सबसे महत्वपूर्ण और अचूक नियम
एक बार जब आप रुद्राक्ष पहन लेते हैं, तो आपको जीवन भर कुछ नियमों का पालन करना होता ਹੈ:
1. सात्विकता बनाए रखें:
रुद्राक्ष एक अत्यंत सात्विक और पवित्र वस्तु है। इसलिए, जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसे भी सात्विक जीवनशैली अपनाने का प्रयास करना चाहिए। शराब, मांस-मछली (तामसिक भोजन) का सेवन करते समय इसे भूलकर भी धारण नहीं करना चाहिए।
2. खंडित या नकली रुद्राक्ष न पहनें:
हमेशा सुनिश्चित करें कि आपका रुद्राक्ष असली और कहीं से भी टूटा-फूटा या खंडित न हो। खंडित रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा दे सकता है।
3. श्मशान घाट पर ले जाना वर्जित:
किसी भी शव यात्रा, अंतिम संस्कार या श्मशान घाट पर जाते समय रुद्राक्ष को उतारकर घर पर रख देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन स्थानों पर मौजूद नकारात्मक ऊर्जा रुद्राक्ष की पवित्रता को प्रभावित कर सकती है।
4. नवजात शिशु के कक्ष में न जाएं:
जिस कमरे में बच्चे का जन्म हुआ हो, वहां सूतक काल के दौरान रुद्राक्ष पहनकर जाने की मनाही होती है। सूतक काल समाप्त होने के बाद ही आप रुद्राक्ष पहनकर वहां जा सकते हैं।
5. सोते समय उतार दें (विशेष नियम):
हालांकि इस पर मतभेद हैं, लेकिन ज़्यादातर विद्वान यह सलाह देते हैं कि रात को सोते समय रुद्राक्ष को उतारकर अपने पूजा स्थान पर रख देना चाहिए। ऐसा करने से इसकी पवित्रता बनी रहती है और यह किसी भी प्रकार की अशुद्धि से बचता है। सुबह स्नान के बाद इसे दोबारा धारण करें।
6. शारीरिक संबंध बनाते समय धारण न करें:
रुद्राक्ष पहनकर कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। यह रुद्राक्ष का सबसे बड़ा अपमान माना जाता है और इसके गंभीर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
7. दूसरों का रुद्राक्ष न पहनें:
कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा पहना हुआ रुद्राक्ष धारण न करें और न ही अपना रुद्राक्ष किसी और को पहनने के लिए दें। माना जाता है कि रुद्राक्ष व्यक्ति की ऊर्जा के साथ जुड़ जाता है, और इसे साझा करने से इसकी ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाता है ।
8. स्वच्छता का ध्यान रखें:
समय-समय पर अपने रुद्राक्ष को साफ करते रहें। आप इसे गंगाजल से धो सकते हैं और सूखने पर इस पर हल्का सा सरसों का तेल लगा सकते हैं ताकि इसकी चमक बनी रहे।
9. लाल या पीले धागे में ही पहनें:
रुद्राक्ष को हमेशा लाल, पीले या सफेद रंग के रेशमी या सूती धागे में ही धारण करना चाहिए। इसे कभी भी काले धागे में नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
10. पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें:
सबसे अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण नियम है - रुद्राक्ष पर पूरी श्रद्धा और विश्वास रखना। इसे सिर्फ एक फैशन एक्सेसरी समझने की गलती न करें। यह भगवान शिव का आशीर्वाद है, और इसे पूरे सम्मान के साथ ही धारण करना चाहिए।
इन सरल लेकिन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करके आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको भगवान शिव के इस दिव्य आशीर्वाद का पूरा और सकारात्मक फल मिले और आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए।
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