Saving Money : VPF और GPF में निवेश से पहले जानें इसके फायदे और नुकसान, नहीं होगा कोई घाटा
News India Live, Digital Desk: Saving Money : नौकरीपेशा लोगों के लिए अपनी रिटायरमेंट और भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए विभिन्न निवेश विकल्प उपलब्ध हैं. इनमें से VPF (स्वैच्छिक भविष्य निधि) और GPF (सामान्य भविष्य निधि) दो ऐसे नाम हैं जिनके बारे में अक्सर सुनने को मिलता है. हालांकि ये दोनों ही भविष्य निधि योजनाएं हैं, लेकिन इनकी प्रकृति, पात्रता और कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं में अंतर होता है. आइए इन दोनों को विस्तार से समझते हैं:
1. VPF (Voluntary Provident Fund) - स्वैच्छिक भविष्य निधि:
- क्या है? VPF एक स्वैच्छिक निवेश योजना है जो उन कर्मचारियों के लिए है जो कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के सदस्य हैं. इसमें कर्मचारी अपनी मर्ज़ी से अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 12% से ज़्यादा हिस्सा पीएफ खाते में जमा कर सकते हैं.
- कौन निवेश कर सकता है? निजी क्षेत्र और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के वो कर्मचारी जो ईपीएफ के दायरे में आते हैं, वे VPF में निवेश कर सकते हैं.
- फायदे:
- बेहतर रिटर्न: आमतौर पर ईपीएफ के समान ही ब्याज दर मिलती है, जो एफडी (FD) से ज़्यादा होती है.
- टैक्स बचत: इसमें निवेश की गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
- सुरक्षित निवेश: यह एक सुरक्षित और सरकार द्वारा समर्थित योजना है, जिसमें जोखिम न के बराबर होता है.
- लचीलापन: कर्मचारी अपनी इच्छा से कभी भी अपनी VPF योगदान राशि को बढ़ा या घटा सकते हैं.
2. GPF (General Provident Fund) - सामान्य भविष्य निधि:
- क्या है? GPF एक ऐसी भविष्य निधि योजना है जो विशेष रूप से भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए है. यह उनके रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है.
- कौन निवेश कर सकता है? केवल सरकारी कर्मचारी (केंद्र और राज्य दोनों) ही जीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. निजी क्षेत्र के कर्मचारी इसमें निवेश नहीं कर सकते.
- फायदे:
- सुरक्षित और अनिवार्य: यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य बचत योजना है, जो बहुत सुरक्षित होती है.
- निश्चित ब्याज: सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज दर मिलती है, जो अक्सर ईपीएफ और वीपीएफ के समान होती है.
- टैक्स बचत: इसमें जमा की गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
- ऋण और आंशिक निकासी: कर्मचारी कुछ शर्तों के तहत अपने जीपीएफ खाते से ऋण ले सकते हैं या आंशिक निकासी कर सकते हैं.
VPF और GPF में मुख्य अंतर:
- पात्रता (Eligibility): VPF निजी/सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों (जो EPF के दायरे में हैं) के लिए है, जबकि GPF केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए है.
- अनिवार्यता (Mandatory vs Voluntary): GPF सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य बचत योजना का हिस्सा हो सकता है, जबकि VPF EPF में 'स्वैच्छिक' अतिरिक्त योगदान है.
- योगदान की सीमा: VPF में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और DA का 100% तक योगदान कर सकते हैं, जबकि GPF में भी कुछ नियम होते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से सरकारी नीतियों से तय होता है.
दोनों ही योजनाएं रिटायरमेंट के लिए एक मज़बूत फंड बनाने में मदद करती हैं, लेकिन अपनी नौकरी के प्रकार और पात्रता के आधार पर ही इनमें से सही विकल्प का चुनाव करना चाहिए.
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