Beauty Tips : No-Makeup लुक में होता है ढेर सारा मेकअप, तो फिर इसका नाम ऐसा क्यों है

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News India Live, Digital Desk: Beauty Tips : नो-मेकअप मेकअप लुक' - ब्यूटी की दुनिया में यह शब्द इतना पॉपुलर है कि हर कोई इसे पाना चाहता है। सेलेब्रिटीज से लेकर आम लड़कियों तक, हर कोई ऐसा दिखना चाहता है जैसे वो सुबह सोकर उठा हो और उसकी स्किन नेचुरली इतनी ही खूबसूरत, ग्लोइंग और बेदाग हो।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस लुक के नाम में ही 'नो-मेकअप' (No-Makeup) जुड़ा है, उसे पाने के लिए असल में ढेर सारे मेकअप प्रोडक्ट्स की जरूरत क्यों पड़ती है? अगर मेकअप लगाना ही है, तो फिर इसे 'नो-मेकअप' लुक क्यों कहते हैं? यह तो एक धोखा हुआ!

चलिए, आज मेकअप की दुनिया के इस सबसे बड़े राज से पर्दा उठाते हैं।

नाम 'रिजल्ट' का है, 'प्रोसेस' का नहीं

जी हां, आपने सही पढ़ा। इस लुक का नाम 'नो-मेकअप मेकअप लुक' इसलिए नहीं है कि इसमें मेकअप का इस्तेमाल नहीं होता। बल्कि, इसका नाम ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे करने के बाद रिजल्ट ऐसा दिखता है, मानो आपने कोई मेकअप लगाया ही नहीं है।

यह मेकअप करने की एक खास कला है, एक तकनीक है जिसका मकसद आपके चेहरे को बदलना नहीं, बल्कि आपके फीचर्स को हल्का सा निखारना (Enhance) है। इसका लक्ष्य है एक ऐसी खूबसूरती पाना जो 'बनावटी' न लगे, बल्कि 'नेचुरल' लगे।

क्या होता है इस 'धोखे' के पीछे?

जब कोई ट्रेडिशनल मेकअप करता है, तो फाउंडेशन की परत, डार्क लिपस्टिक, तेज ब्लश और गहरा आई-मेकअप साफ नजर आता है। लेकिन 'नो-मेकअप' लुक में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स और उन्हें लगाने का तरीका बिल्कुल अलग होता है।

  • फाउंडेशन: हैवी फाउंडेशन की जगह लाइट-वेट टिंटेड मॉइस्चराइजर या बीबी क्रीम का इस्तेमाल होता है, जो स्किन पर एक परत की तरह नहीं दिखता, बल्कि स्किन में समा जाता है।
  • कंसीलर: इसका इस्तेमाल सिर्फ दाग-धब्बों और डार्क सर्कल्स को बहुत हल्के से छिपाने के लिए किया जाता है, पूरे चेहरे पर नहीं।
  • ब्लश: पाउडर वाले तेज ब्लश की जगह क्रीम वाले हल्के पिंक या पीच ब्लश का इस्तेमाल होता है, ताकि गालों पर ऐसा रंग आए जैसे वे धूप से नेचुरली लाल हुए हों।
  • आंखें: मोटा आईलाइनर या डार्क आईशैडो की जगह सिर्फ पलकों को मस्कारा से हल्का सा उठाया जाता है और आइब्रोज को सेट किया जाता है।
  • होंठ: डार्क लिपस्टिक की जगह न्यूड शेड की लिपस्टिक या सिर्फ टिंटेड लिप बाम लगाया जाता है, ताकि लगे कि होंठों का रंग प्राकृतिक रूप से गुलाबी है।

इस पूरे प्रोसेस में Primer से लेकर सेटिंग स्प्रे तक, 7 से 10 प्रोडक्ट्स तक लग सकते हैं, लेकिन हर चीज को इतनी बारीकी और अच्छे से ब्लेन्ड किया जाता है कि वह आपकी अपनी स्किन का ही हिस्सा लगे।

तो अगली बार जब आप किसी को 'नो-मेकअप' लुक में देखें, तो यह समझ जाइएगा कि यह उनकी 'नेचुरल ब्यूटी' नहीं, बल्कि एक बहुत ही शानदार 'मेकअप की कला' है। यह वो कला है जो कहती है - "मैंने मेकअप किया है, पर तुम्हें पता नहीं चलने दूंगी

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