Atypical symptoms : क्या आप जानते हैं हृदय रोग के अलार्म लापरवाही और अधूरा ज्ञान क्यों ले सकता है जान

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News India Live, Digital Desk: Atypical symptoms : हृदय रोग, खासकर दिल का दौरा, दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। इसकी एक बड़ी और चिंताजनक वजह यह है कि अक्सर लोग इसके जोखिमों और प्रारंभिक संकेतों को तब तक पहचान नहीं पाते जब तक कि बहुत देर नहीं हो जाती। यह कोई असावधानी नहीं, बल्कि जटिलता, जानकारी की कमी और कभी-कभी लक्षणों के धोखे का परिणाम है।

दिल के दौरे के कई लक्षण इतने हल्के या असामान्य हो सकते हैं कि लोग उन्हें पेट की गैस, मांसपेशियों में खिंचाव, थकान या सामान्य बेचैनी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हर किसी .को छाती में तेज़ दर्द नहीं होता जो सीधे बाएं हाथ में जाए। कई बार, सीने में हल्की बेचैनी, कंधे या पीठ में हल्का दर्द, जबड़े में अजीब सी सनसनी, जी मिचलाना, पसीना आना या बेवजह की थकान जैसे सूक्ष्म संकेत हो सकते हैं, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। कुछ मामलों में तो 'साइलेंट हार्ट अटैक' भी होता है, जहाँ कोई स्पष्ट लक्षण महसूस ही नहीं होता, और पता तब चलता है जब बड़ा नुकसान हो चुका होता है।

इसके अलावा, हमारे समाज में स्वास्थ्य के प्रति उतनी सक्रिय जागरूकता नहीं है जितनी होनी चाहिए। लोग नियमित जांच करवाने में ढिलाई बरतते हैं। बहुत से लोग, खासकर युवा, यह मान लेते हैं कि दिल की बीमारी बुढ़ापे की बीमारी है, जबकि आधुनिक जीवनशैली के कारण यह कम उम्र में भी हमला कर रही है। जब किसी को थोड़ा भी असामान्य महसूस होता है, तो अक्सर डॉक्टर के पास जाने की बजाय, 'घरेलू नुस्खों' या 'कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा' की मानसिकता में रहते हैं। यह देरी बहुत खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि हृदय को क्षति तेजी से बढ़ती है।

कुछ मामलों में, डॉक्टर भी इन लक्षणों को अन्य सामान्य बीमारियों से जोड़ सकते हैं, जिससे गलत या अधूरी निदान हो सकती है। लोग सोचते हैं कि उन्होंने तो अपना सालाना चेकअप कराया है, लेकिन उन सामान्य चेकअप में कई बार हृदय रोग के विशेष परीक्षण, जैसे लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल) की गहरी जांच, ईसीजी में बारीक बदलावों का विश्लेषण या स्ट्रेस टेस्ट शामिल नहीं होते, जब तक कि मरीज विशेष शिकायत न करे। यह एक प्रकार से आधी जानकारी वाला विश्वास होता है, जो उन्हें झूठी सुरक्षा का अहसास दिलाता है।

अधिकतर, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान और पारिवारिक इतिहास जैसे ज्ञात जोखिम कारक मौजूद होने पर भी लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। ये कारक धीरे-धीरे दिल को अंदर ही अंदर नुकसान पहुँचाते रहते हैं, और जब कोई तीव्र घटना होती है, तब पता चलता है कि यह वर्षों से पनप रही थी।

इसलिए, सबसे महत्वपूर्ण बात है सक्रिय होना और जानकारी रखना। अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न लगें। नियमित रूप से पूरी शारीरिक जांच करवाएं और अपने हृदय स्वास्थ्य से जुड़े विशेष परीक्षणों के बारे में डॉक्टर से बात करें। जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव लाएं – जैसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और धूम्रपान व शराब से दूरी। यह जागरूकता ही दिल के दौरे के 'छिपे हुए' खतरों को समय रहते पहचानकर गंभीर परिणाम से बचा सकती है।

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