Ashwin month 2025 : पितृ पक्ष से लेकर नवरात्रि और दशहरे तक, जानिए कब है कौन सा त्योहार
News India Live, Digital Desk: Ashwin month 2025 : हिंदू कैलेंडर का सातवां महीना, आश्विन, शुरू हो चुका है. यह महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें पितरों की पूजा से लेकर शक्ति की उपासना तक के कई बड़े व्रत और त्योहार आते हैं. इस महीने जहां एक तरफ श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, वहीं दूसरी तरफ शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की भक्ति में डूब जाते हैं.
आइए, जानते हैं इस महीने आने वाले प्रमुख त्योहारों और व्रतों की पूरी लिस्ट:
पितृ पक्ष (18 सितंबर से 03 अक्टूबर 2025)
यह महीना पितरों को समर्पित श्राद्ध पक्ष के साथ शुरू होता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं.
इंदिरा एकादशी (28 सितंबर 2025, शनिवार)
पितृ पक्ष के दौरान आने वाली इस एकादशी का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्रत करने वाले को भी बैकुंठ में स्थान मिलता है.
सर्वपितृ अमावस्या (03 अक्टूबर 2025, शुक्रवार)
यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि हमें याद नहीं होती.
शारदीय नवरात्रि (04 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025)
अमावस्या के अगले दिन से ही शक्ति की उपासना का नौ दिवसीय पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगा. पहले दिन घटस्थापना की जाएगी और फिर नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी.
दशहरा / विजयदशमी (13 अक्टूबर 2025, सोमवार)
नवरात्रि के समापन के अगले दिन दशमी तिथि को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था.
पापांकुशा एकादशी (28 अक्टूबर 2025, मंगलवार)
दशहरे के बाद आने वाली यह एकादशी पापों का नाश करने वाली मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सारे पाप धुल जाते हैं.
शरद पूर्णिमा / कोजागरी व्रत (02 नवंबर 2025, रविवार)
यह आश्विन मास का अंतिम और सबसे खास दिन होता है. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और आकाश से अमृत की वर्षा होती है. इस रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है.
--Advertisement--