Ashtami 2025 : कन्या पूजन में भूलकर भी न करें ये 6 गलतियां मां दुर्गा हो सकती हैं नाराज

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News India Live, Digital Desk: दुर्गा पूजा के दौरान आने वाली अष्टमी और नवमी तिथि का महत्व हम सभी जानते हैं. इन खास दिनों में कन्या पूजन (कंजक) करने की परंपरा सदियों पुरानी है. ऐसा माना जाता है कि नौ कन्याओं में साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप विराजमान होता है और उनकी पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कन्या पूजन करते समय कुछ गलतियां बिल्कुल नहीं करनी चाहिए? जी हां, ऐसी मान्यता है कि इन गलतियों से मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं और आपकी पूजा अधूरी रह सकती है. तो चलिए जानते हैं 2025 की अष्टमी और नवमी के दौरान कन्या पूजन में आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

कन्या पूजन क्यों है इतना खास?
हिंदू धर्म में, खास तौर पर शारदीय और चैत्र नवरात्रि में, अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. भक्त इस दिन 2 से 9 वर्ष की आयु की कन्याओं को घर बुलाते हैं, उन्हें देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराते हैं, दक्षिणा और उपहार देते हैं, और उनके पैर धोकर उनका आशीर्वाद लेते हैं. इस अनुष्ठान से मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

कन्या पूजन के दौरान इन गलतियों से बचें:

  1. गलत भोग अर्पित न करें: कन्या पूजन का सबसे अहम हिस्सा कन्याओं को भोग लगाना है. भोग हमेशा सात्विक होना चाहिए. भूलकर भी तामसिक भोजन, जैसे मांस, मछली या मदिरा आदि का भोग न लगाएं. परंपरागत रूप से हलवा, पूड़ी और चना प्रसाद के तौर पर खिलाया जाता है. मां दुर्गा को यही प्रिय है और ऐसा भोग ही चढ़ाना चाहिए, जिसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल न हुआ हो.
  2. कन्याओं से बुरा व्यवहार: जिस तरह हम देवी मां का सम्मान करते हैं, उसी तरह कन्या पूजन के दौरान कन्याओं का भी सम्मान करें. उनके साथ जोर से बात करना, डांटना या अधीरता दिखाना उचित नहीं है. याद रखें, आप स्वयं देवी स्वरूप कन्याओं की पूजा कर रहे हैं. धैर्य और विनम्रता से उनके साथ व्यवहार करें.
  3. सभी वर्ग की कन्याओं को सम्मान दें: कई बार लोग सिर्फ अपने आस-पड़ोस की कन्याओं या कुछ विशेष वर्ग की कन्याओं को ही पूजा में बुलाते हैं. जबकि कन्या पूजन का भाव यह है कि सभी कन्याएं देवी का ही रूप हैं, चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि की हों. किसी भी बच्ची के साथ जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव न करें, क्योंकि मां दुर्गा सभी में वास करती हैं.
  4. साफ-सफाई का ध्यान रखें: पूजन में शुद्धता का खास महत्व है. कन्या पूजन से पहले घर की साफ-सफाई ठीक से करें. जहां भोजन कराएं, वह जगह स्वच्छ हो. जो भोजन कन्याओं को खिलाएं, वह साफ हाथों से और शुद्ध मन से बना हो. साफ-सुथरे बर्तन का ही उपयोग करें.
  5. कन्याओं की सही संख्या और उम्र: कन्या पूजन के लिए आदर्श रूप से नौ कन्याएं होनी चाहिए, साथ ही एक बालक को भैरव बाबा का प्रतीक मानकर पूजा में शामिल किया जाता है. अगर नौ कन्याएं न मिल पाएं तो कम से कम दो कन्याओं की पूजा तो करनी ही चाहिए. उनकी उम्र 2 वर्ष से लेकर 9 वर्ष के बीच होनी चाहिए. इससे कम या ज्यादा उम्र की कन्याएं पूजन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जातीं.
  6. पैसे या तोहफों पर ज्यादा जोर नहीं: कन्याओं को उपहार और दक्षिणा देना एक अच्छी परंपरा है, लेकिन इसे पूजा का मुख्य हिस्सा न बनाएं. कन्या पूजन का असली अर्थ है सम्मान, प्रेम और सेवा का भाव. तोहफों से ज्यादा आप उनके प्रति कैसा व्यवहार कर रहे हैं, वह अधिक महत्वपूर्ण है.

इन बातों का ध्यान रखकर किया गया कन्या पूजन निश्चय ही मां दुर्गा को प्रसन्न करेगा और आपके जीवन में सुख-शांति लेकर आएगा.

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