Rajasthan News : RSS के अरुण कुमार ने दिया बड़ा बयान ,सिर्फ भारत माता की जय बोलने से नहीं चलेगी राष्ट्रभक्ति

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News India Live, Digital Desk: क्या आप भी सोचते हैं कि भारत माता की जय बोलना ही राष्ट्रभक्ति है? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने इस धारणा पर एक बड़ा और चौंकाने वाला बयान दिया है! जयपुर में विजयादशमी उत्सव (Vijayadashami festival) को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ-साफ कहा कि केवल "भारत माता की जय" बोलना ही सच्ची देशभक्ति नहीं है। उनकी यह टिप्पणी न सिर्फ संघ, बल्कि देश में राष्ट्रवाद की बहस को एक नया मोड़ दे रही है।

तो फिर क्या है असली राष्ट्रभक्ति?

अरुण कुमार के मुताबिक, वास्तविक राष्ट्रभक्ति तब होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवन के हर पल, हर क्षण में समाज और देश के लिए कुछ करता है। उनका कहना है कि जब हम अपने जीवन को समाज और राष्ट्रहित में समर्पित करते हैं, तब वह सच्ची देशभक्ति कहलाती है, सिर्फ एक नारा बुलंद करने से नहीं।

क्या ख़तरा मंडरा रहा है भारत पर?

अपने संबोधन में अरुण कुमार ने चिंता जताते हुए कहा कि लंबे समय तक भारत विदेशी शक्तियों के शासन और प्रभाव में रहा। अब पहली बार ऐसा लग रहा है कि हमारे 'अस्तित्व' पर ही ख़तरा मंडरा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विदेशी शक्तियाँ और उनके प्रभाव में काम करने वाले समूह, अब अपनी रणनीति बदल चुके हैं और सबने मिलकर भारत, हिंदू समाज (Hindu society) और संघ (RSS) को अपना 'कॉमन दुश्मन' मान लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया (social media) के ज़रिए संघ और भारतीय समाज को कमजोर करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। यह भारत का वर्तमान है।

समाज को अंदरूनी ख़तरों से सावधान रहने की अपील

अरुण कुमार यहीं नहीं रुके। उन्होंने देश के अंदर मौजूद कई ऐसी शक्तियों पर भी चिंता जताई, जो समाज को जाति (caste) और गुटों (groups) के आधार पर बाँटने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "चार व्यक्ति मिलकर एक मंदिर बनाने का काम शुरू करते हैं, लेकिन उसमें भी दो गुट बन जाते हैं। सभी आस्थावान होते हैं, धार्मिक होते हैं, लेकिन आपसी झगड़े खड़े हो जाते हैं। यही मानसिकता समाज को पीछे खींच रही है।"

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दुर्भाग्य से आज समाज 'मैं' और 'मेरा परिवार' तक ही सीमित होकर रह गया है। यह आत्म-केंद्रित और उदासीन माहौल समाज को खोखला बना रहा है। यही वजह है कि ईर्ष्या, द्वेष और गुटबाजी समाज की जड़ों में अपनी जगह बना चुकी है। यह जातीय राजनीति पर भी एक बड़ा प्रहार है।

अरुण कुमार का हर नागरिक से आह्वान

सह सरकार्यवाह ने समाज के हर व्यक्ति से 'आत्मचिंतन' करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति खुद से यह सवाल पूछे कि "आज मैंने देश के लिए क्या किया? समाज के लिए क्या योगदान दिया?" यदि ऐसी सकारात्मक सोच विकसित होती है, तो समाज में सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) और एकता बढ़ेगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में समाज को महापुरुषों के नाम और आरक्षण के मुद्दे पर भी बांटने की कोशिशें होंगी। कई 'गैर-मुद्दों' को लेकर बड़े-बड़े आंदोलन खड़े किए जाते हैं, जो समाज को असली मुद्दों से भटकाने का काम करते हैं। हमें असली मुद्दों पर ध्यान देना होगा और समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने की ज़िम्मेदारी उठानी होगी। अरुण कुमार का यह संबोधन सिर्फ़ एक चेतावनी नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में सोचने की एक बड़ी सीख भी है।

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