Annapurna Jayanti 2025: जब आपकी रसोई बन जाए मंदिर, तो भंडार कभी खाली नहीं रहते
News India Live, Digital Desk: हम सब दिन-रात क्यों भागते हैं? "दो वक्त की रोटी" के लिए, है न? भारतीय संस्कृति में भोजन को सिर्फ़ पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि 'ब्रह्म' माना गया है। और इसी भोजन की, इसी पोषण की जो देवी हैं—वह हैं माँ अन्नपूर्णा (Maa Annapurna)।
जल्द ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) का पावन दिन आ रहा है, जिसे हम और आप 'अन्नपूर्णा जयंती' के रूप में मनाते हैं। यह वही दिन है जब हम अपनी किचन, अपने चूल्हे और अपने भोजन के प्रति कृतज्ञता (Gratitude) जाहिर करते हैं।
चलिए, बहुत ही सरल भाषा में समझते हैं कि इस दिन आपको क्या करना चाहिए ताकि आपके घर में "अन्न और धन" की कभी कमी न हो।
वो कहानी जब शिव जी बने 'भिक्षुक'
अन्नपूर्णा जयंती के पीछे एक बहुत ही प्यारी और गहरी कहानी है। कहते हैं एक बार धरती पर अकाल पड़ गया। न अनाज था, न पानी। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए। तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव को, जो खुद 'महादेव' हैं, उन्हें भी एक भिक्षुक का रूप धरना पड़ा।
उन्होंने माता पार्वती (जो अन्नपूर्णा का रूप हैं) से भिक्षा मांगी और कहा— "भिक्षाम देहि।" तब माँ अन्नपूर्णा ने अपने हाथों से शिव जी को अन्न दिया और वादा किया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अन्न के बिना तो भगवान का काम भी नहीं चलता, हम तो फिर भी इंसान हैं।
2025 में अन्नपूर्णा जयंती पर क्या खास करें?
इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा (दिसंबर की शुरुआत में) के दिन यह पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मंदिर जाने से ज्यादा ज़रूरी है अपने "रसोई घर" (Kitchen) की पूजा करना।
- किचन की सफाई: सुबह-सुबह नहाने के बाद अपनी रसोई को गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। यह घर का वो कोना है जहाँ से पूरे परिवार की सेहत बनती है।
- गैस/चूल्हे की पूजा: आपके घर में जो गैस स्टोव या चूल्हा है, वही आज के ज़माने का हवन कुंड है। उस पर हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं। हो सके तो उसे फूलों से सजाएं।
- पहला भोग: इस दिन चावल और दूध की खीर ज़रूर बनानी चाहिए। खाने से पहले एक हिस्सा अग्नि देव (गैस जलाकर उस पर चढ़ाएं) और माँ अन्नपूर्णा के नाम निकालें।
- अन्न दान: ठंड का मौसम है, अगर आपके सामर्थ्य में हो तो किसी ज़रूरतमंद को अनाज या बना हुआ गरम भोजन दान करें। कहते हैं इस दिन किया गया दान सीधे माँ अन्नपूर्णा के पास पहुँचता है।
एक कसम जो आज सबको खानी चाहिए
अन्नपूर्णा जयंती सिर्फ़ पूजा करने का दिन नहीं, एक संकल्प लेने का दिन है। हम अक्सर शादी-ब्याह में या घर पर थाली में ढेर सारा खाना छोड़ देते हैं और उसे डस्टबिन में डाल देते हैं।
यकीन मानिए, अन्न का अपमान करना माँ अन्नपूर्णा को सबसे ज़्यादा नाराज़ करता है। आज के दिन अपने बच्चों को और खुद को ये वादा करें कि "उतना ही लेंगे थाली में, व्यर्थ न जाए नाली में।"
जिस घर में अन्न का आदर होता है और मेहमानों को भूखा नहीं जाने दिया जाता, वहां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा दोनों स्थायी रूप से वास करती हैं।
तो इस बार, अपनी रसोई को ही मंदिर मानिए और प्रेम से कहिए— जय माँ अन्नपूर्णा
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