अमित शाह ने खोले जंगलराज के खौफनाक पन्ने, लालू-राबड़ी सरकार पर बोला सबसे बड़ा हमला

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News India Live, Digital Desk : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का रण अभी दूर है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पटना की धरती से एक ऐसा 'सियासी बम' फोड़ा है, जिसकी गूंज आने वाले कई महीनों तक सुनाई देगी। उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए लालू-राबड़ी यादव के 15 साल के शासनकाल (1990-2005) के ऐसे खौफनाक आंकड़े पेश किए हैं, जिसने 'जंगलराज' की पुरानी यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया है।

अमित शाह ने महागठबंधन, खासकर आरजेडी और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग बिहार को फिर से उसी अंधेरे युग में धकेलना चाहते हैं, जहां कानून का नहीं, बल्कि अपराधियों का राज चलता था।

आंकड़ों से किया सीधा प्रहार

अपने भाषण में अमित शाह ने किसी भी लाग-लपेट के बिना सीधे आंकड़ों से बात की। उन्होंने दावा किया कि लालू-राबड़ी के उस 15 साल के 'जंगलराज' में:

  • 32,000 से ज्यादा हत्याएं हुईं।
  • 12 से अधिक बड़े और भीषण नरसंहार हुए, जिनमें सैकड़ों लोगों को बेरहमी से मार दिया गया।
  • अपहरण (Kidnapping) एक उद्योग बन गया था। लोगों को घर से उठा लिया जाता था और फिरौती वसूली जाती थी।

उन्होंने कहा, "आज जो लोग बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, उन्हें बिहार की जनता को जवाब देना चाहिए कि उस दौर में कानून-व्यवस्था की ऐसी दुर्दशा क्यों थी? बिहार के युवा उस दौर को भूल गए होंगे, लेकिन हम उन्हें और उनके माता-पिता को वह खौफनाक मंजर भूलने नहीं देंगे।"

"हमने बिहार को जंगलराज से बाहर निकाला"

अमित शाह यहीं नहीं रुके। उन्होंने एनडीए सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि नीतीश कुमार और बीजेपी की सरकार ने मिलकर बिहार को उस 'जंगलराज' से बाहर निकालने का काम किया। उन्होंने कहा कि एनडीए के शासन में नक्सलवाद लगभग खत्म हो गया और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया। उन्होंने दावा किया कि आज बिहार विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है और यह सब एनडीए सरकार की देन है।

चुनाव से पहले गरमाई सियासत

अमित शाह का यह बयान साफ तौर पर बिहार चुनाव 2025 के लिए बीजेपी की रणनीति को दिखाता है। बीजेपी एक बार फिर 'जंगलराज' के डर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर महागठबंधन को घेरने की तैयारी में है। यह हमला सीधे तौर पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर है, जो उस शासनकाल की विरासत से जुड़े हैं।

अब देखना यह है कि तेजस्वी यादव और महागठबंधन, अमित शाह द्वारा पेश किए गए इन गंभीर और डरावने आंकड़ों का जवाब किस तरह देते हैं और बिहार की जनता 'अतीत के डर' और 'भविष्य के वादों' के बीच किसे चुनती है।

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