America's big Decision: भारत से आने वाले सामान पर लगेगा 50% टैरिफ, जानिए किन सेक्टरों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
Newsindia live,Digital Desk: America's big Decision: अमेरिका ने भारत से आने वाले कई सामानों पर टैरिफ को बढ़ाकर 50% कर दिया है, जो 27 अगस्त, 2025 से लागू हो गया है. इस फैसले से भारत के कई प्रमुख निर्यात सेक्टरों में चिंता की लहर दौड़ गई है. अमेरिका का यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के जवाब में उठाया गया है.[1] इस टैरिफ का असर उन छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर सबसे ज़्यादा पड़ने की आशंका है, जो अपनी बिक्री के लिए अमेरिकी बाजार पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं.
किन सेक्टरों पर होगी सबसे बड़ी मार?
जिन सेक्टरों पर इस टैरिफ का सबसे ज़्यादा असर पड़ने वाला है, वे मुख्य रूप से श्रम-आधारित हैं. इनमें शामिल हैं:
कपड़ा और परिधान: तिरुपुर, नोएडा और सूरत जैसे बड़े कपड़ा केंद्रों में उत्पादन पहले ही ठप हो गया है क्योंकि बढ़ी हुई लागत के कारण प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया हैभारतीय कपड़ा उद्योग को अब वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जहाँ टैरिफ काफी कम हैं
रत्न और आभूषण: भारत के रत्न और आभूषण निर्यात का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका जाता है. इस सेक्टर में 52.1% तक का भारी टैरिफ लगने की आशंका है, जिससे सूरत और मुंबई जैसे केंद्रों में लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है.
समुद्री उत्पाद (Seafood): विशेष रूप से झींगा निर्यात इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित होगा. अमेरिका भारतीय झींगे का एक बड़ा खरीदार है और 50% टैरिफ के बाद निर्यातकों के लिए लाभ कमाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.
हस्तशिल्प और कालीन: इस सेक्टर में तुर्की और वियतनाम जैसे देश अमेरिकी बाजार में भारत की जगह ले सकते हैं.
ऑटो कम्पोनेंट्स और इंजीनियरिंग का सामान: इन सेक्टरों पर भी टैरिफ का काफी असर पड़ेगा, जिससे निर्यात ऑर्डर में कमी आ सकती है.
किन सेक्टरों को मिली है छूट?
हालांकि, राहत की बात यह है कि कुछ ज़रूरी सेक्टरों को इस टैरिफ से छूट दी गई है. लगभग 30% भारतीय निर्यात, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कच्चे दवा सामग्री और रिफाइंड फ्यूल शामिल हैं, ड्यूटी-फ्री रहेंगे. यह छूट भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन क्षेत्रों में अमेरिका के साथ उसका व्यापार काफी बड़ा है
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर में 0.5% तक की कमी आ सकती है और लाखों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.[8] सरकार ने निर्यातकों को भरोसा दिलाया है कि वह इस संकट से निपटने के लिए वित्तीय सहायता और बाज़ार में विविधता लाने में मदद करेगी वहीं, कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इससे भारत को आत्मनिर्भर बनने और घरेलू बाजार को मजबूत करने का एक अवसर भी मिल सकता है.
कुल मिलाकर, अमेरिका का यह फैसला भारत के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है. अब देखना यह होगा कि सरकार और निर्यातक मिलकर इस मुश्किल का सामना कैसे करते हैं और इसके দীর্ঘकालिक प्रभावों को कम करने के लिए क्या कदम उठाते हैं.
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