अमेरिका-चीन व्यापार युद्धविराम बढ़ा, ट्रम्प ने टैरिफ की समयसीमा फिर 90 दिन के लिए टाली

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अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे ट्रेड टकराव को एक बार फिर विराम मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 90 दिनों के लिए टैरिफ डेडलाइन बढ़ा दी है, जिससे दुनियाभर के बाज़ारों में उथल-पुथल फिलहाल थम गई है। ट्रम्प ने खुद सोशल मीडिया पर घोषणा की कि उन्होंने इस संबंध में एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन कर दिया है। इससे दोनों देशों के व्यापारिक विवादों को हल करने के लिए एक और मौका मिल गया है, और संभव है कि साल के अंत तक ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच महत्वपूर्ण बैठक हो जाए।

किस वजह से है यह ट्रेड ट्रूस अहम?

अगर समय पर यह बढ़ोतरी नहीं होती, तो अमेरिका चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट्स पर पहले से ही ऊंचे 30% टैरिफ को और बढ़ा सकता था, और चीन भी अपना पलटवार करते हुए अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ बढ़ा सकता था। पहले, दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामान पर भारी टैरिफ लगाए थे — चीन के उत्पादों पर 145% तक और अमेरिका के उत्पादों पर 125% तक। इसका सीधा असर वैश्विक व्यापार और फाइनेंशियल मार्केट्स पर देखने को मिला।

अब, इस 90 दिनों की बढ़ोतरी के बाद अमेरिका के टैरिफ 30% पर स्थिर रहेंगे और चीन की तरफ से भी टैरिफ 10% रहेगा। इससे अमेरिकी कंपनियों को चीन में कारोबार करने, निवेश तय करने और इन्वेंट्री प्लानिंग में राहत मिलेगी।

व्यापार समझौते की जटिल चुनौतियां

इस ट्रूस के बावजूद, बड़ी चुनौतियां अभी बाकी हैं — चीन की कमजोर बौद्धिक संपदा सुरक्षा, सरकारी सब्सिडी और इंडस्ट्रियल पॉलिसी, जो अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक बाज़ार में नुकसान पहुंचाती हैं। ट्रम्प प्रशासन चाहता है कि चीन फेंटानिल रसायन के निर्यात पर नियंत्रण करे, अमेरिकी कृषि और ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा मिले, और एक्सपोर्ट टेक्नॉलजी पर पाबंदियां कम हों। पिछले महीने जिनेवा बैठक में दोनों पक्षों ने कुछ टैरिफ की दरें कम करने और व्यापार को सामान्य बनाने पर सहमति जताई थी।

चीन का रियल कॉम्बैट पावर , रेयर अर्थ मिनरल्स

जब अमेरिका ने टैरिफ को हथियार बनाकर दबाव डाला, तब चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स का निर्यात सीमित करके जवाबी चाल चली। ये मिनरल्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और जेट इंजन समेत कई अहम उत्पादों के लिए जरूरी हैं। जून में तनाव कम करने के लिए अमेरिका ने चिप टेक्नॉलजी और इथेन के एक्सपोर्ट पर कुछ पाबंदियां हटाईं, जबकि चीन ने अमेरिकी कंपनियों को रेयर अर्थ हासिल करने में आसानी देने की बात मानी।

आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि सीमित समझौतों के अलावा गहराई वाली समस्याएं दूर होना मुश्किल है और ट्रेड वॉर अगले कुछ साल तक इसी तरह चलता रहेगा। अमेरिकी कृषि, ऊर्जा और टेक्नॉलजी सेक्टर उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी महीनों में कुछ सकारात्मक परिणाम निकलेंगे, मगर पूरी तरह ट्रेड युद्ध बंद होना अभी दूर की बात लग रही है।
 

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