Allahabad University : आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं UP की यूनिवर्सिटी में हुआ बवाल, चीफ प्रॉक्टर ने गुस्से में दिया इस्तीफा

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News India Live, Digital Desk : कहते हैं न कि इंसान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अगर बात उसके आत्मसम्मान (Self-Respect) पर आ जाए, तो बड़ी से बड़ी कुर्सी भी छोटी लगने लगती है। उत्तर प्रदेश की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में कुछ ऐसा ही हुआ है, जिसने सबको चौंका कर रख दिया है।

यहाँ मामला प्रशासन और 'चीफ प्रॉक्टर' के बीच का है। खबर है कि चीफ प्रॉक्टर ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया है। लेकिन ये कोई सामान्य इस्तीफा नहीं है। इसके पीछे की जो वजह उन्होंने वीसी (Vice Chancellor) को लिखी चिट्ठी में बताई है, वो अब चर्चा का विषय बन गई है।

"मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था..."
अक्सर हम देखते हैं कि अधिकारी काम के दबाव या निजी कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देते हैं। लेकिन यहाँ मामला सीधा 'दिल पर लगी चोट' का है। सूत्रों की मानें तो चीफ प्रॉक्टर और कुलपति (VC) के बीच कुछ तनातनी चल रही थी।

चीफ प्रॉक्टर ने अपने इस्तीफे में साफ़ शब्दों में लिखा है— "आत्मसम्मान बचाने के लिए इस्तीफा देने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा है।"

जरा सोचिए, एक अधिकारी के लिए यह लिखना कितना मुश्किल रहा होगा? उन्होंने चिट्ठी में यह भी जिक्र किया है कि उनके व्यक्तित्व (Personality) और स्वभाव (Nature) पर जिस तरह की टिप्पणियां की गईं, वो उन्हें अंदर तक चुभ गईं। उन्होंने साफ़ कर दिया कि काम का दबाव तो झेला जा सकता है, लेकिन अगर खुद की 'पर्सनालिटी' पर उंगलियां उठाई जाएंगी, तो यह स्वीकार नहीं है।

यूनिवर्सिटी के गलियारों में खलबली
जैसे ही यह खबर बाहर आई, कैंपस में कानाफूसी शुरू हो गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या कह दिया गया कि बात इस्तीफे तक पहुँच गई? एक चीफ प्रॉक्टर का काम अनुशासन बनाए रखना होता है, और अगर अनुशासन बनाने वाला ही अपने सम्मान के लिए लड़ रहा हो, तो यह सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

आत्मसम्मान सबसे ऊपर
यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक सबक भी है। चाहे सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट, हर कोई इज़्ज़त का भूखा होता है। चीफ प्रॉक्टर ने यह कदम उठाकर साबित कर दिया कि पद प्रतिष्ठा अपनी जगह है, लेकिन अपनी नज़रों में ऊँचा रहना सबसे ज्यादा जरूरी है।

फिलहाल, वीसी ऑफिस की तरफ से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है, इसका सबको इंतजार है। लेकिन एक बात तो तय है—इस 'चिट्ठी' ने प्रशासन के अंदर चल रही खींचतान को जगजाहिर कर दिया है।

आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या इज़्ज़त की खातिर नौकरी या पद छोड़ना सही फैसला है? कमेंट में अपनी राय जरूर दें।

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