अखिलेश यादव का 2027 के लिए सबसे बड़ा चुनावी दांव, 'स्त्री सम्मान समृद्धि योजना' के तहत महिलाओं को देंगे 36,000 रुपये सालाना

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लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन से उत्साहित होकर, समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अभी से ही 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव (2027 Vidhansabha Chunav) के लिए अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी हैं। मिशन 2027 को फतह करने के लिए, अखिलेश यादव  एक ऐसी 'मास्टरस्ट्रोक' योजना का ऐलान किया हैं, जिसका सीधा निशाना राज्य की आधी आबादी, यानी महिलाएं हैं।

सपा ने घोषणा की है कि अगर 2027 में उनकी सरकार बनती है, तो वे 'स्त्री सम्मान समृद्धि योजना' (Stree Samman Samridhi Yojna) लॉन्च करेंगे। इस योजना के तहत, प्रदेश की पात्र महिलाओं को हर महीने 3,000 रुपये, यानी सालाना 36,000 रुपये की सीधी आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस घोषणा  यूपी के राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस और हलचल पैदा कर दी हैं, और इसे बीजेपी की 'लाडली बहना' और 'लखपति दीदी' जैसी योजनाओं का सीधा जवाब माना जा रहा हैं।

 

क्या है 'स्त्री सम्मान समृद्धि योजना'?

यह योजना समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र का एक प्रमुख स्तंभ होने जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना हैं।

योजना की मुख्य विशेषताएं:

  • आर्थिक सहायता: पात्र महिलाओं को प्रति माह 3,000 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे।
  • सालाना लाभ: कुल मिलाकर, एक महिला को एक साल में 36,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी।
  • लक्ष्य: इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देना हैं, ताकि वे अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर न रहें और अपने परिवार के भरण-पोषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
  • कौन होंगी पात्र?: हालांकि पात्रता के विस्तृत मानदंड अभी घोषित नहीं किए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यह योजना मुख्य रूप से गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग की महिलाओं को लक्षित करेगी, और इसमें कुछ आय-सीमा निर्धारित की जा सकती है।

 

क्यों है यह अखिलेश यादव का 'गेम-चेंजर' दांव?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि यह घोषणा 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक 'गेम-चेंजर' साबित हो सकती है।

1. आधी आबादी पर सीधा फोकस:
उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या एक बहुत बड़ा और निर्णायक फैक्टर है। पिछले कुछ चुनावों में, यह देखा गया हैं कि महिला वोटरों ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट दिया हैं, जिसका एक बड़ा कारण केंद्र और राज्य सरकार की महिला-केंद्रित योजनाएं (जैसे उज्ज्वला योजना, मुफ्त राशन, और लाडली बहना) रही हैं। अखिलेश यादव की यह योजना सीधे तौर पर बीजेपी में सेंध लगाने की एक बड़ी कोशिश है।

2. सामाजिक सुरक्षा का वादा:
3,000 रुपये प्रति माह की राशि एक बड़ा आकर्षण है, जो सीधे तौर पर एक परिवार के घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। यह सिर्फ एक चुनावी वादा नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का एक बड़ा संदेश भी हैं।

3. लोकसभा चुनाव की सफलता से मिला आत्मविश्वास:
2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस जीत ने सपा के कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भर दिया है और अखिलेश यादव को यह विश्वास दिलाया ਹੈ कि सही रणनीति के साथ वे 2027 में बीजेपी को सत्ता से हटा सकते हैं। यह योजना उसी आत्मविश्वास का प्रतीक है।

 

चुनौतियां और सवाल

हालांकि यह घोषणा सुनने में बेहद आकर्षक हैं, लेकिन इसे लेकर कुछ बड़े सवाल और चुनौतियां भी हैं:

  • वित्तीय बोझ: सबसे बड़ा सवाल यह ਹੈ कि इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए राज्य के खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा और इसके लिए पैसा कहां से आएगा? बीजेपी निश्चित रूप से इस मुद्दे पर सपा को घेरेगी।
  • क्या सिर्फ वादे से मिलेंगे वोट?: क्या सिर्फ एक योजना की घोषणा से महिला वोटर अपना मन बदल लेंगी, या फिर उन्हें कानून-व्यवस्था और अन्य मुद्दों पर भी सपा से ठोस आश्वासन की ज़रूरत होगी?

बहरहाल, अखिलेश यादव 'स्त्री सम्मान समृद्धि योजना' का ऐलान करके 2027 के चुनावी समर का बिगुल बहुत पहले ही फूंक दिया हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस 'मास्टरस्ट्रोक' का जवाब कैसे देती हैं और उत्तर प्रदेश की आधी आबादी किसके वादों पर ज़्यादा भरोसा करती हैं।

 

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