Ahoi Ashtami 2025 : इस दिन अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए करें ये महाउपाय, दूर होंगे सारे संकट

Post

News India Live, Digital Desk: नमस्ते! बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत, माताएँ पूरे भक्ति-भाव से रखती हैं. यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है, और 2025 में यह पावन दिन कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और पूजा कैसे करनी है, आइए विस्तार से जानते हैं

अहोई अष्टमी 2025 कब है? (Ahoi Ashtami 2025 Date)

साल 2025 में अहोई अष्टमी का पावन पर्व 9 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा. यह दिन उन माताओं के लिए बहुत खास होता है जो अपने बच्चों के सुख और समृद्धि की कामना करती हैं. यह व्रत निर्जला रखा जाता है और शाम को तारों को देखकर या चंद्रमा को अर्घ्य देकर खोला जाता है.

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त बहुत मायने रखता है, क्योंकि सही समय पर की गई पूजा का फल दोगुना मिलता है:

  • अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त: शाम 05:44 बजे से शाम 06:58 बजे तक.
  • अवधि: लगभग 1 घंटे 14 मिनट
  • तारों को देखने का समय: शाम 06:05 बजे
  • अष्टमी तिथि शुरू: 9 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:32 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:15 बजे

इन मुहूर्तों का ध्यान रखकर अगर आप पूजा करती हैं, तो माँ अहोई अवश्य ही आपकी प्रार्थना स्वीकार करेंगी.

पूजा विधि (Puja Vidhi)

अहोई अष्टमी का व्रत पूरे विधि-विधान से करने से ही उसका पूरा फल मिलता है. तो आइए जानते हैं कैसे करनी चाहिए पूजा:

  1. स्नान और संकल्प: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर अपने मन में व्रत का संकल्प लें कि आप अपनी संतान की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए यह व्रत रखेंगी.
  2. तैयारी: घर की दीवार पर या पूजा स्थान पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएँ. आप तैयार चित्र या कैलेंडर का भी उपयोग कर सकती हैं. इस चित्र में अहोई माता और उनके बच्चे दिखाए जाते हैं. पास में सेही और उसके बच्चों का चित्र भी बनाना शुभ माना जाता है.
  3. सामग्री जुटाएँ: पूजा के लिए पानी से भरा कलश (जिसमें कुमकुम से स्वास्तिक बना हो), एक दीपक, फल, फूल, मिठाई (आमतौर पर पुए या हलवा), बताशे, कच्चे चावल, रोली, अक्षत, धूप और दीपक आदि तैयार कर लें.
  4. पूजा शुरू करें: शाम के समय, शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें. अहोई माता के चित्र के सामने बैठकर दीपक जलाएँ. अब सबसे पहले गणपति बप्पा का ध्यान करें. फिर अहोई माता को रोली, चावल, पुष्प और मिठाई चढ़ाएँ.
  5. कथा श्रवण और आरती: अहोई अष्टमी की कथा ध्यान से सुनें या पढ़ें. कथा के बिना कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है. कथा के बाद अहोई माता की आरती करें. आरती करते समय माँ से अपने बच्चों की सुख-शांति और दीर्घायु की प्रार्थना करें.
  6. तारों को अर्घ्य: शाम को तारे निकलने पर कलश में भरे जल से तारों को अर्घ्य दें और व्रत खोलें. आप चाहें तो चंद्रमा निकलने पर भी अर्घ्य दे सकती हैं, लेकिन आमतौर पर तारे देखकर व्रत खोलने की परंपरा है.
  7. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद परिवार के सदस्यों और बच्चों में बाँटें.

अहोई अष्टमी का यह पवित्र व्रत माताओं के त्याग और प्रेम का प्रतीक है. पूरी श्रद्धा के साथ किया गया यह व्रत बच्चों के जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छी सेहत लाता है.

--Advertisement--