दशकों के इंतज़ार के बाद अब आग पर बसे झारखंड के झरिया के लोगों को मिलेंगे पक्के फ्लैट, केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान
News India Live, Digital Desk : जहाँ आप रह रहे हों, वहाँ ज़मीन के नीचे दशकों से आग सुलग रही हो... ज़िंदगी हर पल ख़तरे में हो... ऐसी ही कहानी है झारखंड के झरिया की, जहाँ कोयला खदानों में लगी आग ने हज़ारों परिवारों का जीना दूभर कर रखा था. ये लोग अपनी जान जोखिम में डालकर दशकों से रह रहे थे. लेकिन अब एक बेहद राहत भरी खबर आ रही है! केंद्र सरकार ने आखिरकार झरिया की आग से प्रभावित लोगों के लिए बड़ा ऐलान किया है. अब इन हज़ारों परिवारों को जल्द ही पक्के फ्लैट मिलेंगे, ताकि वे सुरक्षित और सम्मानजनक ज़िंदगी जी सकें. यह खबर उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, जो लंबे समय से बेहतर भविष्य का सपना देख रहे थे!
आखिर क्या है यह नई राहत?
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि झरिया की कोयला खदानों में लगी आग के चलते विस्थापित हुए या प्रभावित लोगों को पक्का आवास मिलेगा. यह कोई छोटा फैसला नहीं है, बल्कि दशकों की अनदेखी और संघर्ष का सुखद परिणाम है. इन लोगों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित स्थान पर ले जाने और उन्हें अच्छी जगह बसाने का प्लान अब पूरी तरह से ज़मीन पर उतारा जाएगा.
क्यों इतना अहम है ये फैसला?
आप जानते ही हैं, झरिया कोयलांचल में ज़मीन के अंदर आग सुलग रही है. कई जगहों पर तो ज़मीन इतनी गरम रहती है कि उस पर खड़े होना भी मुश्किल हो जाता है. अक्सर ऐसी ख़बरें आती रहती हैं कि ज़मीन धंस गई या फिर घर गिर गया. ऐसे ख़तरनाक माहौल में जीना, अपने आप में एक बड़ा संघर्ष है. ऐसे में इन परिवारों को वहां से निकालकर एक अच्छी जगह पर पक्का घर देना, सिर्फ़ एक सुविधा नहीं, बल्कि जीवनदान के समान है. यह सरकार की ज़िम्मेदारी और मानवीय दृष्टिकोण को भी दर्शाता है.
कब से चल रहा था ये संघर्ष?
झरिया की आग की समस्या एक-दो दिन पुरानी नहीं है. यह सैकड़ों सालों से चली आ रही है और पिछले कुछ दशकों से यह और गंभीर हो गई है. हज़ारों परिवार इस कारण विस्थापन का दंश झेलते आए हैं. पहले भी इन्हें हटाने और बसाने की कोशिशें हुईं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उतनी सफलता नहीं मिल पाई. अब केंद्र सरकार के इस सीधे हस्तक्षेप से उम्मीद है कि ये परिवार अंततः एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य देख पाएंगे. अब इंतज़ार है कि यह योजना कितनी जल्दी ज़मीन पर उतरती है और कब इन परिवारों को अपने सपनों का घर मिलता है.
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