रिजेक्ट होकर रियलिटी शो से हुईं बाहर, पड़ोसियों के तानों के कारण 17 बार बदला घर, अब बनीं बिहार की सबसे युवा विधायक
बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नाम हर किसी की जुबान पर है - मैथिली ठाकुर। 25 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर अलीनगर सीट जीतकर वह राज्य की सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं। उनकी इस जीत का जश्न सिर्फ इसलिए नहीं मन रहा कि वह एक युवा नेता हैं, बल्कि इसलिए भी कि वह संगीत की दुनिया का एक जाना-माना चेहरा और लाखों दिलों की धड़कन हैं।
आज हर कोई उन्हें एक सफल राजनेता और मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में देख रहा है, लेकिन इस सफलता के पीछे एक ऐसा संघर्ष छिपा है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
जब रियलिटी शो में मिली हार और टूटे सपने
राजनीति में आने से बहुत पहले, मैथिली का एकमात्र सपना था - संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाना। इसके लिए उन्होंने बचपन में 'सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स' और 'इंडियन आइडल जूनियर' जैसे देश के सबसे बड़े सिंगिंग रियलिटी शो में ऑडिशन दिया। प्रतिभा होने के बावजूद, उन्हें बार-बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा।
उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ 2017 में आया, जब उन्होंने म्यूजिक रियलिटी शो 'राइजिंग स्टार' में हिस्सा लिया। अपनी दिल छू लेने वाली आवाज और भक्ति गीतों से उन्होंने जजों और दर्शकों का दिल जीत लिया और ग्रैंड फिनाले तक पहुंच गईं। लेकिन यहां भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह सिर्फ दो वोटों के मामूली अंतर से शो की विनर बनने से चूक गईं।
हार नहीं मानी, सोशल मीडिया को बनाया अपना हथियार
शो हारने के बाद, फिल्म इंडस्ट्री से आने वाले ऑफर्स का इंतजार करने के बजाय मैथिली ने अपना रास्ता खुद बनाने का फैसला किया। अपने दोनों भाइयों, अयाची और ऋषभ के साथ मिलकर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने गाने पोस्ट करना शुरू कर दिया। उनके गाए हुए पारंपरिक लोकगीत, भक्ति गीत और क्लासिकल संगीत को लोगों ने इतना पसंद किया कि देखते ही देखते उनके वीडियो वायरल हो गए।
वह रातों-रात एक इंटरनेट सेंसेशन और मिथिला लोक संगीत की सबसे मजबूत आवाज बनकर उभरीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शो के बाद उन्हें करण जौहर और यश चोपड़ा जैसे बड़े फिल्ममेकर्स के ऑफिस से भी कॉल आए, लेकिन उन्होंने बॉलीवुड की चकाचौंध को छोड़कर एक स्वतंत्र कलाकार बने रहने का फैसला किया।
पड़ोसियों के ताने और 17 बार बदला घर
सफलता की यह कहानी जितनी शानदार दिखती है, उसके पीछे का संघर्ष उतना ही कठिन है। एक पुराने इंटरव्यू में मैथिली की मां भारती ठाकुर ने बताया था कि दिल्ली में अपने शुरुआती दिनों में उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने बताया कि मैथिली और उनके भाइयों के संगीत के रियाज से पड़ोसियों को इतनी परेशानी होती थी कि उन्हें एक दशक में करीब 17 बार घर बदलना पड़ा। उन्होंने कहा, "हम उस समय सिर्फ एक कमरे का ही घर ले सकते थे। मेरे पति और बच्चों का रियाज पड़ोसियों को परेशान करता था और हमें बार-बार घर खाली करने को कहा जाता था।" यह सिलसिला 2017 तक चलता रहा, जब 'राइजिंग स्टार' से मिली पहचान के बाद वे दिल्ली के द्वारका में अपना घर खरीदने में कामयाब हुए।
25 जुलाई 2000 को मधुबनी में जन्मी मैथिली को संगीत विरासत में मिला। उनके पिता रमेश ठाकुर खुद एक संगीतकार और उनके पहले गुरु हैं। आज, एक सिंगर से विधायक बनने तक का उनका यह सफर उन लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है जो मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का जज्बा रखते हैं।
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