भारत का नाम रोशन करने वाले अभिजीत बनर्जी को मिली एक और बड़ी जिम्मेदारी, ज्यूरिख में संभालेंगे 266 करोड़ का प्रोजेक्ट

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भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो, जो खुद भी एक नोबेल विजेता हैं, एक बार फिर एक बड़े वैश्विक मिशन पर साथ निकल पड़े हैं। दुनिया की कुछ सबसे बड़ी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए इस पति-पत्नी की जोड़ी को एक नई और बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में एक नए और प्रतिष्ठित रिसर्च सेंटर, 'ज्यूरिख सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेवलपमेंट रिसर्च' की कमान अब अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो संभालेंगे।

क्या है यह प्रोजेक्ट और क्यों है इतना खास?

यह कोई छोटी परियोजना नहीं है। इस शोध केंद्र को 32 मिलियन डॉलर (करीब 266 करोड़ रुपये) की भारी-भरकम धनराशि मिली है, जिसका एकमात्र लक्ष्य है - दुनिया भर में गरीबी, असमानता और विकास से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों का समाधान खोजना।

अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो को इस कार्य के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला। उन्होंने दुनिया को गरीबी उन्मूलन के कुछ नए और व्यावहारिक तरीके दिखाए। अब ज्यूरिख में यह नया केंद्र उन्हें अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करेगा।

यह केंद्र जुलाई 2026 से अपना काम शुरू करेगा और अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो इसके पहले निदेशक होंगे।

क्या करेगा यह सेंटर?

यह केंद्र दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ दिमागों को एक साथ लाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि गरीबी और असमानता को कम करने में कौन सी नीतियाँ सबसे प्रभावी हैं। अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो अपने अनूठे दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, जो जमीनी स्तर पर छोटे-छोटे प्रयोगों के ज़रिए यह पता लगाते हैं कि कौन सी योजनाएँ वास्तव में गरीबों की मदद करती हैं और कौन सी नहीं।

इस कदम को दुनिया की कुछ सबसे बड़ी समस्याओं के ठोस और प्रभावी समाधान खोजने की एक बड़ी उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है।

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