IIM Selection Criteria : CAT में 99.6% स्कोर, फिर भी IIM ने नहीं दिया एडमिशन, जानिए क्यों एक इंजीनियर का सपना रह गया अधूरा
News India Live, Digital Desk: IIM Selection Criteria : देश के लाखों युवा हर साल एक सपना देखते हैं - CAT की कठिन परीक्षा पास कर IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला पाना। ऐसी ही एक कहानी है एक मैकेनिकल इंजीनियर की, जिसने CAT 2025 में 99.6 पर्सेंटाइल जैसा असाधारण स्कोर हासिल किया। इतना स्कोर लाने के बाद कोई भी IIM अहमदाबाद, बैंगलोर या कलकत्ता से इंटरव्यू कॉल की पक्की उम्मीद करेगा। लेकिन इस छात्र के हाथ सिर्फ निराशा लगी।
यह कहानी उन सभी CAT उम्मीदवारों के लिए एक सबक है जो सोचते हैं कि सिर्फ परीक्षा में टॉप करने से IIM का दरवाजा खुल जाता है। सच्चाई इससे कहीं ज्यादा जटिल है।
तो फिर 99.6% स्कोर के बावजूद क्यों मिला रिजेक्शन?
IIM में एडमिशन की प्रक्रिया एक बहु-स्तरीय पहेली की तरह है, जहां CAT का स्कोर सिर्फ एक, albeit बड़ा, टुकड़ा है। आइए समझते हैं कि वे कौन सी वजहें हो सकती हैं, जिनके कारण इतने शानदार स्कोर के बाद भी उम्मीदवार चूक जाते हैं।
1. एकेडमिक प्रोफाइल (10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन के नंबर):
IIM सिर्फ यह नहीं देखता कि आपने एंट्रेंस एग्जाम में क्या किया, बल्कि वे आपके पूरे एकेडमिक करियर को भी तौलते हैं। आपके 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन के नंबरों का बहुत बड़ा महत्व होता है। अगर किसी छात्र का CAT स्कोर बहुत अच्छा है, लेकिन उसके स्कूल या कॉलेज में नंबर कम हैं, तो उसे IIM से बुलावा आने की संभावना काफी कम हो जाती है। यह माना जाता है कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र ही IIM के कठोर माहौल के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं।
2. एकेडमिक डाइवर्सिटी (इंजीनियर होना बना अभिशाप?):
यह IIM की चयन प्रक्रिया का सबसे अहम और विवादास्पद पहलू है। IIM अपनी क्लास में विविधता (Diversity) लाना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि पूरी क्लास सिर्फ इंजीनियरों से भर जाए। इसलिए, वे आर्ट्स, कॉमर्स, मेडिकल और अन्य बैकग्राउंड के छात्रों को एडमिशन में कुछ अतिरिक्त 'डाइवर्सिटी पॉइंट्स' देते हैं।
इसका सीधा नुकसान उन इंजीनियर छात्रों को होता है जो मैकेनिकल, कंप्यूटर साइंस जैसी कॉमन ब्रांच से आते हैं। उनकी संख्या पहले से ही बहुत ज्यादा होती है, जिस वजह से उनके बीच कॉम्पिटिशन बहुत बढ़ जाता है। एक इंजीनियर को इंटरव्यू कॉल के लिए जितने स्कोर की जरूरत होती है, उतने ही स्कोर पर एक कॉमर्स या आर्ट्स के छात्र को आसानी से कॉल आ सकती है।
3. वर्क एक्सपीरियंस (अनुभव का महत्व):
जिन उम्मीदवारों के पास 2-3 साल का अच्छा वर्क एक्सपीरियंस होता है, उन्हें IIM में प्राथमिकता दी जाती है। फ्रेशर्स की तुलना में अनुभवी उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक मिलते हैं। माना जाता है कि वे क्लास में वास्तविक दुनिया के अनुभव और परिपक्वता लेकर आते हैं।
4. रिटेन एबिलिटी टेस्ट (WAT) और पर्सनल इंटरव्यू (PI):
अगर ऊपर के सारे पड़ाव पार कर भी लिए, तो आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण चरण इंटरव्यू का होता है। यहां आपका आत्मविश्वास, कम्युनिकेशन स्किल्स और आप उस IIM के लिए क्यों सही उम्मीदवार हैं, यह परखा जाता है। कई बार टॉपर छात्र भी इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते और रेस से बाहर हो जाते हैं।
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