50 साल पुराना सुपरहिट गीत ‘एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल: जेल में लिखा था मजरूह ने

Post

एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल बॉलीवुड का एक सदाबहार सुपरहिट गीत है, जिसे 1975 में रिलीज हुई फिल्म "धरम करम" में रखा गया था। इस गीत को मुक़ेश और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ दी है, संगीतकार आर. डी. बर्मन ने इसका संगीत तैयार किया था और इसके गहरे और प्रभावशाली बोल मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे।

गाने की खास बातें:

गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी का संघर्ष: यह गीत उन्होंने जेल में रहते हुए लिखा था, जहां वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कैद थे। कहा जाता है कि मजरूह ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेहरू जी के सामने भी घुटने नहीं टेके और जेल की कठिनाइयों के बावजूद अपनी सामाजिक और राजनीतिक चेतना को बरकरार रखा। इसी सोच का प्रतिबिंब इस गीत के बोलों में भी दिखाई देता है।

गीत का विषय: "एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल" जीवन की नश्वरता और दुनिया के अस्थिर स्वभाव को दर्शाता है। गीत के बोल दर्शाते हैं कि भले ही हमारी जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, हम जो बोलते हैं, हमारी यादें, हमारी छाप हमेशा रहती हैं।

संगीत और प्रस्तुति: आर. डी. बर्मन की संगीतबद्धता, मुक़ेश और लता की भावपूर्ण गायिकी, और राज कपूर की प्रभावित करने वाली प्रस्तुति ने इसे बॉलीवुड के क्लासिक गानों में शुमार कर दिया।

लोकप्रियता: 50 साल बाद भी यह गीत अपने फैंस के दिलों में बसा हुआ है और भारतीय सिनेमा के महानतम गीतों की सूची में शामिल है।

गीत के बोलों का सारांश

जीवन एक दिन खत्म हो जाएगा, लेकिन हमारे कहे शब्द और हमारी यादें सदा जीवित रहेंगी।

कठिनाइयों के रास्ते पर काँटे बिछे होंगे लेकिन सच्चे मित्रों के मिलने की भी आशा बनती है।

रिश्तों की मजबूती और दिल का लगाव ज़िंदगी में आशा जगाता है।

यह गीत न केवल फिल्मी प्रेमियों के लिए खास है, बल्कि जीवन के दार्शनिक सत्य को भी छूता है।

--Advertisement--

--Advertisement--