Dabangg leader Dadai Dubey is no more: झारखंड की राजनीति में शोक की लहर, उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर
News India Live, Digital Desk: बिहार और झारखंड की राजनीति में अपनी बेबाकी और दबंग शैली के लिए जाने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ददई दुबे का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। उनके निधन की खबर से कांग्रेस पार्टी सहित पूरे राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर छा गई है।
ददई दुबे का राजनीतिक सफर बेहद प्रेरणादायक और लम्बा रहा है, जिसमें उन्होंने एक साधारण सरपंच से लेकर सांसद और मंत्री तक का पद हासिल किया। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा कतवारपुर गाँव के सरपंच के रूप में शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में दो बार जीत हासिल कर बारवाअड्डा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके बढ़ते कद का ही नतीजा था कि संयुक्त बिहार में जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार थी, तब ददई दुबे को कैबिनेट मंत्री के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली, जहाँ उन्होंने संथाल परगना विकास मंत्री और पंचायती राज मंत्री जैसे पदों पर अपनी सेवाएँ दीं।
विधानसभा में अपने कार्यकाल के बाद भले ही उन्हें मंझला विधायक की उपाधि मिली और बारुई सीट से वे एक बार चुनाव हारे, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने धनबाद से जीत हासिल कर संसद में प्रवेश किया। हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। समय के साथ, ददई दुबे ने कुछ समय के लिए झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का दामन भी थामा था, लेकिन अंततः वे कांग्रेस में लौट आए थे।
ददई दुबे का परिचय केवल एक राजनेता का ही नहीं था, बल्कि उन्हें उनके आक्रामक स्वभाव और सीधी बात कहने की शैली के लिए भी जाना जाता था। उनके बेटे राजीव कुमार और पत्नी लीलावती देवी सहित पूरा परिवार कटरास, धनबाद में उनके निधन से गमगीन है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है, जहाँ विभिन्न दलों के नेता और कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। ददई दुबे का निधन झारखंड और बिहार दोनों राज्यों की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
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