UN's Revelation: भारत की बढ़ती जनसंख्या से भविष्य में गहराएगा संसाधन और रोज़गार का संकट

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News India Live, Digital Desk: UN's Revelation: हर साल 11 जुलाई को 'विश्व जनसंख्या दिवस' के तौर पर मनाया जाता है, जिसका मूल उद्देश्य दुनिया भर में जनसंख्या संबंधी मुद्दों और चुनौतियों पर जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन खासकर भारत जैसे विकासशील देशों के लिए विशेष महत्व रखता है, जहाँ बढ़ती आबादी का मुद्दा लगातार एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों और अनुमानों के मुताबिक, भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है (या बन चुका है)। वर्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 1.4 अरब से अधिक हो चुकी है। वैश्विक स्तर पर भी कुल जनसंख्या अब 8 अरब के आंकड़े को पार कर गई है, जो तेजी से हो रही वृद्धि को दर्शाता है।

जनसंख्या के इस तीव्र विकास के साथ-साथ कई गंभीर चुनौतियाँ भी खड़ी हो रही हैं। संसाधनों, खासकर जल, भोजन और ऊर्जा की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती आबादी के लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर पैदा करना, सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना एक बड़ी बाधा बन चुका है। शहरीकरण, स्वच्छ वातावरण बनाए रखने और आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार करने पर भी भारी दबाव पड़ रहा है। हर नए व्यक्ति के साथ धरती पर एक अतिरिक्त दबाव पड़ता है, चाहे वह खाद्य सुरक्षा हो, ऊर्जा की खपत हो या पर्यावरणीय संतुलन।

विश्व जनसंख्या दिवस इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा करने, जागरूकता बढ़ाने और समाधान खोजने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसका उद्देश्य परिवार नियोजन के महत्व को रेखांकित करना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, और सभी को अपने प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने में सशक्त बनाना है। यदि समय रहते इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया, तो यह न केवल भारत के विकास बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है। हमें स्थायी भविष्य के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने, संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने और समावेशी नीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

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