पत्नी हैं आपकी टैक्स बचाने की 'चाबी'! जानिए ये 5 कानूनी तरीके, बचेंगे हज़ारों रुपये

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आयकर (Income Tax) बचाना हर वेतनभोगी (salaried person) और आम आदमी के लिए एक ज़रूरी काम है. लोग टैक्स बचाने के लिए तरह-तरह के निवेश (investments) और सरकारी योजनाओं का सहारा लेते हैं. कोई 80C के तहत PPF, ELSS, बीमा, होम लोन EMI में निवेश करता है, तो कोई 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपकी ही पत्नी, अगर सही तरीके से इस्तेमाल की जाए, तो आपकी टैक्स देनदारी (tax liability) को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकती हैं?

यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि आयकर कानून में छिपी कुछ ऐसी हकीकतें हैं जिनका फायदा उठाकर आप अपनी जेब पर पड़ने वाले टैक्स के बोझ को कम कर सकते हैं. हाँ, यह सब कानूनी तौर पर होना चाहिए. तो चलिए, आज हम जानते हैं उन 5 खास तरीकों के बारे में, जिनसे आप और आपकी पत्नी मिलकर टैक्स बचा सकते हैं.

1. HRA (हाउस रेंट अलाउंस) का पूरा लाभ उठाएं

नौकरी करने वालों के लिए HRA एक बड़ा टैक्स बेनिफिट है. यदि आपका घर आपकी पत्नी के नाम पर है (यानी, किरायानामा उनकी मां/पिता/उनके नाम पर है और आप उन्हें किराया देते हैं), तो आप हर महीने उन्हें किराया देकर अपनी टैक्सेबल इनकम (taxable income) को काफी कम कर सकते हैं.

  • कैसे काम करता है: जब आप मकान मालिक को किराया देते हैं, तो आप अपनी कंपनी को वह रसीदें जमा करके HRA क्लेम कर सकते हैं.
  • पत्नी की इनकम: आपकी पत्नी को वह किराया अपनी इनकम में दिखाना होगा, लेकिन क्योंकि उनकी कुल इनकम (आपकी ओर से मिला किराया + यदि उनकी अपनी कोई आय है) आपकी तुलना में कम स्लैब में होगी, तो उन्हें टैक्स का बहुत कम या न के बराबर भुगतान करना पड़ेगा.
  • ** ज़रूरी:** इसके लिए एक सही किरायानामा (rent agreement) होना बहुत ज़रूरी है, जिसमें किराये की राशि और अवधि स्पष्ट रूप से लिखी हो.

2. पत्नी के नाम पर करें निवेश (Section 80C का smart use)

Section 80C के तहत आप ₹1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स बचा सकते हैं. यहीं पर पत्नी आपकी सबसे बड़ी मददगार साबित हो सकती हैं.

  • PPF (Public Provident Fund): आप अपनी पत्नी के नाम पर PPF अकाउंट खुलवाकर उसमें निवेश कर सकते हैं. PPF में निवेश, उस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि, तीनों ही टैक्स-फ्री होती हैं.
  • ELSS (Equity Linked Savings Scheme): म्यूचुअल फंड (mutual funds) की ELSS स्कीमें 3 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आती हैं और 80C के तहत टैक्स छूट प्रदान करती हैं. आप इन फंड्स में अपनी पत्नी के नाम पर SIP (Systematic Investment Plan) या एकमुश्त निवेश कर सकते हैं.
  • ULIPs (Unit Linked Insurance Plans): यह बीमा और निवेश का मिला-जुला रूप हैं, जो 80C के तहत टैक्स छूट देते हैं.
  • ध्यान रखें: यदि आपकी पत्नी की कोई स्वतंत्र आय नहीं है या वह कम टैक्स स्लैब में आती हैं, तो उनके नाम पर किया गया निवेश ज़्यादा प्रभावी होगा. "इनकम क्लबिंग" (Income Clubbing) के नियम को समझना बहुत ज़रूरी है. यदि आप अपनी पत्नी को पैसा 'गिफ्ट' करके उस पर निवेश करवाते हैं, और उस निवेश से होने वाली आय (ब्याज, डिविडेंड आदि) आपकी आय में जोड़ दी जाएगी, अगर आपकी पत्नी की आय 12,500 रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो जाती है (यदि आप गिफ्ट के पैसे से निवेश कराते हैं). ऐसे में, सीधे उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने की बजाय, यह सुनिश्चित करें कि यह उनकी अपनी आय हो या फिर लोन का माध्यम अपनाएं.

3. हेल्थ इंश्योरेंस (Section 80D): परिवार की सेहत, टैक्स की बचत

Section 80D के तहत आप अपने, पत्नी और बच्चों के लिए किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हैं.

  • कैसे पाएं ज़्यादा लाभ: आप और आपकी पत्नी दोनों अपने-अपने नामों पर भी हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं, और दोनों ही अपनी-अपनी पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं (निर्धारित सीमा तक).
  • क्या है सीमा: सेल्फ, पत्नी और बच्चों के लिए ₹25,000 तक की छूट मिलती है. वहीं, अगर आप माता-पिता (जो सीनियर सिटिजन नहीं हैं) के लिए भी इंश्योरेंस लेते हैं, तो कुल ₹50,000 तक की छूट संभव है. अगर माता-पिता सीनियर सिटिजन हैं, तो यह सीमा ₹1 लाख तक जा सकती है.
  • रणनीति: अगर पत्नी की अपनी आय है, तो उनके नाम पर पॉलिसी लेकर भी आप अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं.

4. लोन (Loan) के ज़रिए बचाएं टैक्स, 'क्लबिंग' से बचें

"गिफ्ट" के पैसे पर होने वाली आय "इनकम क्लबिंग" में जोड़ी जाती है, लेकिन "लोन" के पैसे पर होने वाली आय नहीं.

  • स्मार्ट तरीका: आप अपनी पत्नी को उनकी आवश्यकतानुसार मामूली ब्याज दर पर एक निश्चित राशि 'लोन' के तौर पर दे सकते हैं.
  • दस्तावेज़ीकरण ज़रूरी: इस लोन का एक एग्रीमेंट बनाना, ब्याज दर तय करना और नियमित रूप से (जैसे, साल में एक बार) ब्याज वसूलना, यह दिखाना कि आपने उन्हें लोन दिया है, बहुत ज़रूरी है.
  • फायदा: इस 'लोन' से पत्नी जो भी निवेश करेंगी, उससे होने वाली आय आपकी कुल आय में नहीं जोड़ी जाएगी, जिससे आपकी टैक्स देनदारी कम रहेगी.

5. जॉइंट प्रॉपर्टी (Joint Property) और इनकम

अगर आप कोई प्रॉपर्टी संयुक्त रूप से (jointly) खरीदते हैं, या घर को जॉइंट रूप से किराए पर देते हैं, तो इससे भी टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है.

  • जॉइंट FD या निवेश: जब आप FD (Fixed Deposit) या अन्य निवेशों के लिए जॉइंट अकाउंट खोलते हैं, तो नियम के अनुसार, उस खाते की 'प्राइमरी होल्डर' (Primary Holder) के PAN कार्ड से होने वाली आय पर टैक्स देनदारी उसी की बनती है.
  • स्मार्ट मूव: आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्राइमरी होल्डर के तौर पर आपकी पत्नी का नाम हो, खासकर अगर उनकी टैक्स देनदारी आपकी तुलना में कम हो. इससे उस निवेश से होने वाली आय पर कम टैक्स लगेगा.

कुछ ज़रूरी बातें जो भूलें नहीं:

  • सारे लेन-देन लीगल होने चाहिए: इनकम टैक्स विभाग की नज़रों में सब कुछ पारदर्शी और कानूनी होना चाहिए. हर ट्रांज़ैक्शन (transaction) का रिकॉर्ड (documents) आपके पास होना चाहिए.
  • 'क्लबिंग ऑफ इनकम' को समझें: अपनी पत्नी के निवेश या आय पर मिलने वाले लाभ का सही इस्तेमाल करें, न कि नियम तोड़ें.
  • किसी वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) की मदद लें: टैक्स कानूनों को समझना और सही योजना बनाना थोड़ा जटिल हो सकता है. एक विशेषज्ञ की सलाह हमेशा फायदेमंद होती है.

पत्नी के साथ मिलकर समझदारी से की गई टैक्स प्लानिंग, परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का एक शानदार तरीका है. तो आज ही अपनी टैक्स प्लानिंग में अपनी पत्नी को शामिल करें और देखें कि कैसे आप मिलकर ज़्यादा पैसे बचा सकते हैं!

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