Indian Passport Power : क्यों कमजोर हो रहा है भारतीय पासपोर्ट? दुनिया में घट रही है इज्जत, जानें 5 बड़ी वजहें

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News India Live, Digital Desk : Indian Passport Power : एक समय था जब भारतीय पासपोर्ट की ताकत लगातार बढ़ रही थी। साल दर साल ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही थी, जहां भारतीय नागरिक बिना वीजा (Visa-Free) या वीजा-ऑन-अराइवल (Visa-on-Arrival) की सुविधा के साथ घूम सकते थे। लेकिन हाल ही में जारी हुई हेनले पासपोर्ट इंडेक्स (Henley Passport Index) की ताजा रैंकिंग ने चिंता बढ़ा दी है। भारतीय पासपोर्ट पिछले कुछ समय से लगातार अपनी रैंकिंग में नीचे खिसक रहा है।

सवाल यह उठता है कि जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और वैश्विक मंच पर हमारा कद लगातार बढ़ रहा है, तो फिर हमारे पासपोर्ट की 'इज्जत' क्यों कम हो रही है? दुनिया के देश अब हमें पहले जैसी वीजा-फ्री सुविधा देने में क्यों हिचक रहे हैं?

इसके पीछे कोई एक नहीं, बल्कि कई बड़े और जटिल कारण छिपे हैं।

1. अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या (Rise in Illegal Immigration)

यह सबसे बड़ा और सबसे तात्कालिक कारण माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में, कई यूरोपीय और पश्चिमी देशों ने यह पाया है कि बहुत से भारतीय नागरिक टूरिस्ट वीजा पर उनके देश आते हैं, लेकिन वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी अवैध रूप से वहीं रुक जाते हैं। सर्बिया जैसे देशों ने इसी वजह से भारतीयों के लिए अपनी वीजा-फ्री पॉलिसी को खत्म कर दिया। जब कोई देश अपने यहां अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या देखता है, तो वह naturally अपनी वीजा नीतियों को सख्त कर देता है।

2. आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएं (Economic and Security Concerns)

दूसरे देश किसी भी देश के नागरिकों को वीजा-फ्री सुविधा देने से पहले यह देखते हैं कि कहीं इन लोगों के आने से उनके अपने नागरिकों के रोजगार पर तो असर नहीं पड़ेगा? या फिर कहीं इनकी आड़ में कोई असामाजिक तत्व तो देश में नहीं घुस आएगा? दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक मंदी और सुरक्षा चिंताओं के कारण, कई देश अब हर किसी को आसानी से अपने यहां आने की इजाजत देने से कतरा रहे हैं।

3. द्विपक्षीय संबंधों का बदलना (Changing Bilateral Relations)

वीजा नीतियां अक्सर दो देशों के बीच के आपसी संबंधों पर भी निर्भर करती हैं। भले ही भारत के कई देशों के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हर देश अपनी घरेलू राजनीति और जरूरतों के हिसाब से फैसले लेता है। अगर किसी देश को लगता है कि भारत के साथ वीजा-फ्री समझौता उसके हित में नहीं है, तो वह उसे बदल सकता है।

4. अन्य देशों का बेहतर प्रदर्शन (Other Countries are Doing Better)

यह रैंकिंग एक दौड़ की तरह है। हो सकता है कि जिन देशों में हम बिना वीजा जा सकते हैं, उनकी संख्या स्थिर हो, लेकिन अगर इसी दौरान दूसरे देश (जैसे चीन या UAE) ज्यादा देशों के साथ वीजा-फ्री समझौते कर लेते हैं, तो रैंकिंग में वे हमसे आगे निकल जाएंगे और हम अपने आप नीचे खिसक जाएंगे।

5. कोविड के बाद बदली दुनिया (Post-Covid World)

कोरोना महामारी के बाद से, दुनिया भर के देशों ने अपनी सीमाओं और वीजा नीतियों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। स्वास्थ्य और सुरक्षा जांच अब पहले से कहीं ज्यादा सख्त हो गई है, जिसका असर भी वीजा फ्रीडम पर पड़ा है।

यह समझना जरूरी है कि पासपोर्ट की रैंकिंग का गिरना सीधे तौर पर देश की 'इज्जत' का कम होना नहीं है, बल्कि यह एक जटिल वैश्विक व्यवस्था का प्रतिबिंब है, जहां हर देश पहले अपने हितों की सुरक्षा करता है। भारत सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा देश भारतीयों को वीजा-फ्री सुविधा दें, लेकिन इन वैश्विक चुनौतियों से पार पाना एक लंबी और धीमी प्रक्रिया है।

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