बांग्लादेश में बड़ा खेला! जिस हत्या की जांच खुद करवाई, उसी के फैसले पर अब हसीना ने उठाए सवाल, क्यों?
News India Live, Digital Desk: बांग्लादेश की राजनीति में एक अप्रत्याशित और बड़ा मोड़ आया है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी ही पार्टी (अवामी लीग) के एक नेता को हत्या के मामले में दी गई मौत की सजा को खारिज कर दिया है। हसीना ने इस फैसले को "अवैध" और "राजनीति से प्रेरित" बताते हुए प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
यह मामला बांग्लादेश की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर सकता है, जहां सत्ता परिवर्तन के बाद से ही शेख हसीना और उनकी पार्टी के नेता कानूनी शिकंजे में हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बांग्लादेश की एक अदालत ने अवामी लीग के एक प्रभावशाली नेता, जहिदुल इस्लाम टीपू, की हत्या के मामले में कई आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है। इस फैसले के आते ही शेख हसीना ने जेल से ही एक बयान जारी कर इसका कड़ा विरोध किया।
हैरानी की बात यह है कि हत्या के इस मामले की जांच शेख हसीना की सरकार के दौरान ही शुरू हुई थी, लेकिन अब उन्होंने इस पूरी न्यायिक प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
शेख हसीना ने यूनुस सरकार पर क्या लगाए आरोप?
शेख हसीना ने इस अदालती फैसले को सीधे तौर पर यूनुस सरकार की बदले की राजनीति का हिस्सा बताया है। अपने बयान में उन्होंने कहा:
- "यह सजा अवैध और नाजायज है": उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के समय हुई जांच सही दिशा में थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने जांच को प्रभावित कर बेगुनाहों को फंसाया है।
- सरकार पर बदला लेने का आरोप: हसीना ने कहा, "यह अंतरिम सरकार हमारी पार्टी को खत्म करने और हमारे नेताओं को निशाना बनाने के एजेंडे पर काम कर रही है। वे राजनीतिक बदला लेने के लिए न्यायपालिका का दुरुपयोग कर रहे हैं।"
- कानून के शासन पर हमला: उन्होंने इसे लोकतंत्र और कानून के शासन पर एक सीधा हमला बताया और दावा किया कि जब तक उनकी पार्टी सत्ता में वापस नहीं आती, तब तक देश में सच्चा न्याय संभव नहीं है।
क्यों अहम है हसीना का यह कदम?
शेख हसीना का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
- अपनी पार्टी को एकजुट करने की कोशिश: इस बयान के जरिए वह यह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि वह मुश्किल समय में भी अपनी पार्टी के हर नेता के साथ खड़ी हैं, चाहे उस पर कितने भी गंभीर आरोप क्यों न हों।
- यूनुस सरकार पर दबाव बनाना: वह इस तरह के बयानों से अंतरिम सरकार पर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना चाहती हैं, ताकि उनके खिलाफ चल रहे मामलों में उन्हें कुछ राहत मिल सके।
- जनता की सहानुभूति हासिल करना: वह खुद को और अपनी पार्टी को "पीड़ित" के रूप में पेश कर जनता की सहानुभूति हासिल करने की भी कोशिश कर रही हैं।
यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि बांग्लादेश में सत्ता का संघर्ष सड़कों से ज्यादा अब अदालतों और जेलों से लड़ा जा रहा है, जहां हर फैसला एक राजनीतिक हथियार बन गया है। अब देखना यह है कि शेख हसीना का यह दांव कितना कारगर साबित होता है।
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