भारतीय बंदरगाहों पर जहाज़ लाने से क्यों डरते हैं कैप्टन? राज़ जानकर चौंक जाएँगे आप

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भारतीय बंदरगाह और शिपिंग उद्योग: भारतीय बंदरगाह, खासकर सरकारी बंदरगाह, शिपिंग उद्योग में चर्चा का विषय बन गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर चलने वाले जहाजों के कप्तानों ने आरोप लगाया है कि भारतीय बंदरगाहों पर सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी रिश्वत और महंगी वस्तुओं की माँग करते हैं। इससे न केवल शिपिंग उद्योग का मनोबल टूटता है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी धूमिल होती है।

कप्तानों का अनुभव क्या कहता है?

कई कुशल नाविकों (जिन्हें कैप्टन भी कहा जाता है) से बातचीत में पता चला कि भारतीय बंदरगाहों पर कस्टम अधिकारियों का व्यवहार बेहद निराशाजनक है। एक कैप्टन के अनुसार, जब अधिकारी जहाज पर आते हैं, तो वे महंगी सिगरेट (जैसे मार्लबोरो), विदेशी शराब, मक्खन, जैतून का तेल, कॉफी, टी बैग, जैम, नुटेला आदि के कार्टन माँगते हैं। इसके अलावा, वे फ्रोजन चिकन और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें भी ले जाते हैं। ऐसा व्यवहार केवल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बंदरगाहों पर ही देखने को मिलता है, जबकि दुनिया के अन्य बंदरगाहों पर ऐसी स्थिति नहीं है।

डॉलर की मांग!

कुछ कैप्टन आरोप लगाते हैं कि भारतीय कस्टम अधिकारी जहाज़ की निकासी में तेज़ी लाने के लिए 200 से 500 डॉलर तक की माँग करते हैं। कुछ मामलों में, 1,000 डॉलर तक की माँग की जाती है। अगर कैप्टन यह रकम नहीं चुकाता, तो जहाज़ की पूरी तलाशी ली जाती है। दवाइयों से लेकर शराब, सिगरेट, खाने-पीने, टीवी, जूते और कपड़ों तक, हर चीज़ का मिलान किया जाता है। अगर बताई गई चीज़ों में से एक भी गायब है, तो लंबा-चौड़ा स्पष्टीकरण देना पड़ता है, जिसमें 6 से 8 घंटे लग जाते हैं। इसलिए, समय बचाने के लिए कैप्टन यह रकम चुकाते हैं।


सोशल मीडिया पर चर्चा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गणेश (@ggganeshh) नाम के हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसका शीर्षक है, "क्या भारत एक गरीब देश है या एक अमीर देश?" इस वीडियो में, जहाज़ों के मालिकों का कहना है कि भारतीय बंदरगाहों पर अधिकारियों का व्यवहार ठीक नहीं है, जिसकी वजह से वे यहाँ आने से कतराते हैं। इसी पोस्ट पर कंवलदीप सिंह (@KanwaldeepS1ngh) नाम के एक जहाज़ मालिक ने भी अपना अनुभव साझा किया है। उन्होंने लिखा, “मैं एक जहाज़ मालिक हूँ और इसका पूरा समर्थन करता हूँ। भारतीय बंदरगाह के अधिकारी सबसे ज़्यादा परेशान करते हैं। वे जहाज़ के स्टोर में रखी चीज़ों को 'उपहार' के तौर पर ले जाते हैं।”

भारत की छवि पर प्रभाव

इस तरह का व्यवहार भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करता है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों का ऐसा व्यवहार शिपिंग उद्योग में नाराजगी फैला रहा है। कैप्टन का कहना है कि दुनिया के केवल 2% देश ही निकासी के लिए नकद राशि मांगते हैं, और इनमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं।

क्या निदान है?

सरकार को इस स्थिति को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है। सीमा शुल्क विभाग के कामकाज में पारदर्शिता लाना और अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करना ज़रूरी है। ऐसे कदमों से शिपिंग उद्योग का विश्वास बढ़ेगा और भारत की छवि भी सुधरेगी।

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