"हम एक्टर्स हैं, मजदूर नहीं!" - दीपिका पादुकोण के '8-घंटे काम' नियम पर भड़कीं प्रियामणि, बॉलीवुड में छिड़ी नई बहस
बॉलीवुड की 'वर्किंग कल्चर' को लेकर एक नई और बड़ी बहस छिड़ गई है, और इस बार इसके केंद्र में हैं दो बड़ी अभिनेत्रियां- दीपिका पादुकोण और 'जवान' फेम प्रियामणि। हाल ही में, दीपिका पादुकोण ने कहा था कि वह दिन में सिर्फ 8 घंटे और हफ्ते में 5 दिन ही काम करती हैं, ताकि वह अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में एक बैलेंस बना सकें। दीपिका के इस बयान की जहां कुछ लोगों ने तारीफ की, वहीं अब एक्ट्रेस प्रियामणि ने इस पर एक ऐसी तीखी टिप्पणी की है, जिसने पूरी इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है।
प्रियामणि ने क्या कहा?
प्रियामणि ने दीपिका के '8-घंटे शिफ्ट' वाले बयान पर असहमति जताते हुए कहा कि एक्टर होने के नाते उनका काम कोई 9 से 5 वाली टिपिकल नौकरी नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "हम दिहाड़ी मजदूर नहीं हैं कि हम आएं, 8 घंटे काम करें, और चले जाएं।"
प्रियामणि ने आगे कहा, "एक एक्टर के तौर पर हमारा काम बहुत अलग है। कई बार हमें एक सीन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, और कभी-कभी एक शॉट को परफेक्ट करने में कई टेक लग जाते हैं। हम समय की सीमाओं में बंधकर काम नहीं कर सकते। अगर एक सीन को 10 या 12 घंटे लगते हैं, तो हमें वो करना होगा। यही हमारी जॉब की मांग है।"
क्या बॉलीवुड में शुरू हो गई है नई बहस?
प्रियामणि का यह बयान उस बहस को हवा दे रहा है, जो लंबे समय से इंडस्ट्री में चल रही है - क्या एक्टर्स को भी एक तय वर्किंग समय में बांधा जाना चाहिए या नहीं?
- दीपिका का पक्ष: दीपिका जैसे सितारे वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की वकालत कर रहे हैं, ताकि कलाकार बर्नआउट का शिकार न हों।
- प्रियामणि का पक्ष: वहीं, प्रियामणि जैसे कलाकार कला की मांग को सबसे ऊपर रखते हैं। उनका मानना है कि क्रिएटिविटी को समय के तराजू में नहीं तौला जा सकता और एक बेहतरीन शॉट के लिए घंटों की मेहनत जायज है।
यह बहस दर्शाती है कि फिल्म उद्योग में काम करने के तरीकों को लेकर अलग-अलग नज़रिए हैं। अब देखना यह है कि क्या भविष्य में बॉलीवुड में '8 घंटे की शिफ्ट' का कल्चर हावी होता है या फिर 'जब तक शॉट ओके' वाला जुनून हावी रहता है।
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