'वोट चोरी' विवाद: चुनाव आयोग के नोटिस पर राहुल गांधी का जवाब: यह उनका डेटा है, हस्ताक्षर करने के लिए मैं नहीं

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बिहार में होने वाले चुनावों से पहले 'वोट चोरी' के मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। कांग्रेस नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक के 25 विपक्षी दलों के 300 से अधिक सांसद संसद से चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च करने निकले ताकि वे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें। यह कार्यक्रम 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाता सूची से जुड़े गंभीर आरोपों, खासकर 'वोट चोरी' की शिकायतों के मद्देनजर रखा गया है।

दिल्ली पुलिस ने मार्च के लिए कोई अनुमति न मिलने के कारण सांसदों को रोक दिया और उन्हें हिरासत में ले लिया। इस मार्च की अगुवाई कांग्रेस ने की थी। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को एक नोटिस भेजने पर जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग का डेटा है, जिसे उन्हें साइन करना नहीं है। उन्होंने कर्नाटक की एक निर्वाचन क्षेत्र में मिली रिपोर्ट का हवाला देते हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया और इसे संविधान के खिलाफ कहा।

यह विरोध प्रदर्शन विपक्षी दलों के लिए लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए एक निर्णायक संघर्ष बन गया है, जिसमें सांसद अपने मतदाताओं के अधिकार की रक्षा के लिए सड़क पर उतर आए हैं। इस विरोध के पीछे मुख्य मुद्दा है चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों की साफ-सफाई और निष्पक्षता, जिस पर विपक्षी दलों का आक्रोश है।

यह राजनीतिक विरोध इस बात को भी दर्शाता है कि विपक्ष एक साथ आकर चुनाव में संभावित अनियमितताओं के खिलाफ सत्ताधारी दल और चुनाव आयोग के खिलाफ आवाज उठा रहा है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और सांसदों के बीच कड़ी टकराव भी देखने को मिला, परंतु यह संसद-से-चुनाव आयोग मार्च विरोध की महत्वपूर्ण घटना बन गया है।

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