वोडाफोन आइडिया के शेयरों में गिरावट, AGR मामले में सुनवाई तीसरी बार टली
वोडाफोन आइडिया की एजीआर ब्याज और जुर्माना माफ करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरी बार सुनवाई टल गई है। सरकार ने एक बार फिर एक हफ्ते का समय मांगा है। इस मामले की सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी। सुनवाई की पूरी जानकारी देते हुए सीएनबीसी-मार्केट्स के संवाददाता असीम मनचंदा ने बताया कि वोडाफोन आइडिया ने एजीआर ब्याज और जुर्माना माफ करने की अर्जी दाखिल की है। सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फिर समय मांगा है। सरकार ने एक हफ्ते का समय मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस मामले में कई विकल्पों पर विचार कर रही है। सरकार ने माना है कि कंपनी को सहायता की ज़रूरत है। कंपनी में सरकार की 49% हिस्सेदारी है। इस बीच, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारर 8-9 अक्टूबर को भारत दौरे पर आएँगे। स्टारर 9 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि वोडाफोन आइडिया, ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन ग्रुप पीएलसी की भारतीय शाखा है।
वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर एजीआर बकाया पर ब्याज और जुर्माने पर ब्याज माफ करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल नई याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है। इस बीच, वोडाफोन आइडिया (Vi) के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई।
शेयर वर्तमान में ₹0.32 या 3.63% की गिरावट के साथ ₹8.49 पर कारोबार कर रहा है। दिन का इसका उच्चतम मूल्य ₹8.95 और न्यूनतम मूल्य ₹8.33 रहा। इस शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम लगभग 1,125,920,918 शेयरों का है।
सरकार समस्या के समाधान पर काम कर रही है - ब्लूमबर्ग
इस बीच, ब्लूमबर्ग ने 6 अक्टूबर को सूत्रों के हवाले से खबर दी कि भारत सरकार ब्रिटेन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए वोडाफोन ग्रुप पीएलसी की संकटग्रस्त भारतीय शाखा से लंबे समय से चली आ रही एजीआर शुल्क मांगों के एकमुश्त निपटान पर विचार कर रही है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अनुमानित 2 लाख करोड़ रुपये के इस वित्तीय विवाद को ब्याज और जुर्माने में छूट के साथ-साथ मूल राशि पर छूट देकर सुलझाया जा सकता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि किसी भी सौदे के कारण बकाया राशि वाले अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों की ओर से कानूनी चुनौतियाँ न खड़ी हों।
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