Vitiligo : सफेद दाग के मरीज़ रहें सावधान इन खाद्य पदार्थों और कॉम्बिनेशन्स से करें परहेज

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News India Live, Digital Desk: Vitiligo : सफेद दाग, जिसे विटिलिगो Vitiligo के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी त्वचा संबंधी समस्या है जहाँ शरीर की रंगत यानी मेलेनिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाएँ मेलानोसाइट्स नष्ट होने लगती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि त्वचा पर सफेद रंग के पैच या दाग बन जाते हैं। यह एक ऑटोइम्यून स्थिति मानी जाती है, जहाँ शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से इन कोशिकाओं पर हमला कर देती है। जबकि आहार स्वयं सफेद दाग का सीधा इलाज नहीं है, कई विशेषज्ञों और आयुर्वेदिक परंपराओं में कुछ खाद्य पदार्थों और उनके संयोजनों से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उनका मानना है कि ये स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं या इसके प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।

चिकित्सकीय विशेषज्ञों और आहार विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों को कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। अम्लीय फल, जैसे कि नींबू, संतरा, अंगूर, और अनार आदि, अक्सर उन खाद्य पदार्थों की सूची में सबसे ऊपर होते हैं जिनसे परहेज करने को कहा जाता है। माना जाता है कि इनकी अत्यधिक अम्लता शरीर के आंतरिक संतुलन और मेलेनिन उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसी तरह, दही जैसे किण्वित डेयरी उत्पाद, जिनकी प्रकृति अम्लीय होती है और जो शरीर में 'गर्म' माने जाते हैं, इनसे भी बचने की सलाह दी जाती है। कुछ शोधों ने डेयरी उत्पादों को सफेद दाग के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा है।

इसके अतिरिक्त, कुछ समुद्री भोजन और लाल माँस भी सफेद दाग वाले व्यक्तियों के लिए अच्छे नहीं माने जाते। मछली और लाल माँस को शरीर में पित्त बढ़ाने वाला या सूजन पैदा करने वाला माना जाता है, जिससे ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया संभावित रूप से तेज हो सकती है। पैकेज्ड फूड, जिसमें ढेर सारे कृत्रिम रंग, प्रिजर्वेटिव्स और रसायन होते हैं, इनसे भी दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली में बाधा डाल सकते हैं और समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली पर तनाव डाल सकते हैं। शराब का सेवन और अन्य प्रकार के अत्यधिक प्रसंस्कृत भोजन भी हानिकारक माने जाते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण रूप से, कुछ खाद्य संयोजनों को भी विशेष रूप से सफेद दाग वाले लोगों के लिए वर्जित बताया गया है। जैसे कि, मछली और दूध या दही का एक साथ सेवन। पारंपरिक रूप से माना जाता है कि यह संयोजन त्वचा विकारों को बढ़ावा दे सकता है। इसी प्रकार, दूध के साथ प्याज का सेवन करने से भी मना किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये विपरीत प्रकृति के खाद्य पदार्थ शरीर में विषाक्त पदार्थ टॉक्सिन पैदा कर सकते हैं या संतुलन बिगाड़ सकते हैं, जिससे मौजूदा स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

यह ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि ये आहार संबंधी सलाह मुख्य रूप से अनुभव और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित हैं। आहार परिवर्तन करने से पहले हमेशा एक योग्य त्वचा विशेषज्ञ या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करना सबसे अच्छा है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं, जिससे आप बिना किसी नुकसान के अपनी स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकें। एक संतुलित आहार, तनाव कम करना और नियमित चिकित्सा सलाह लेना ही इस स्थिति के साथ स्वस्थ जीवन जीने का सही मार्ग है।

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