Vishnu Kripa and Ganesh Visarjan : अनंत चतुर्दशी 2025 की वो तारीख और शुभ घड़ी, जो चमका देगी आपकी किस्मत

Post

News India Live, Digital Desk: Vishnu Kripa and Ganesh Visarjan : सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का दिन बहुत खास माना जाता है. यह त्योहार भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है और साथ ही, इसी दिन गणेश चतुर्थी का भी समापन होता है, यानी बड़े धूमधाम से गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है. साल 2025 में, अनंत चतुर्दशी कब पड़ेगी और इसके क्या शुभ मुहूर्त हैं, आइए जानते हैं सब कुछ विस्तार से.

कब है अनंत चतुर्दशी 2025?

हर साल गणेश चतुर्थी के दसवें दिन यानी दस दिवसीय गणेशोत्सव के बाद अनंत चतुर्दशी आती है. साल 2025 में, अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी. यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि होती है.

अनंत चतुर्दशी 2025 के शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करना और अनंत सूत्र बांधना बेहद शुभ माना जाता है.

  • अनंत चतुर्दशी पूजा का मुहूर्त: मंगलवार, 9 सितंबर को सुबह 06:16 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 06:17 बजे तक (यानी पूरे दिन पूजा की जा सकती है)
  • गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त: वैसे तो पूरे दिन विसर्जन किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम का समय ज़्यादा शुभ माना जाता है.

क्यों खास है अनंत चतुर्दशी?

अनंत चतुर्दशी का नाम 'अनंत' शब्द से आया है, जिसका अर्थ है जिसका कोई अंत नहीं. यह भगवान विष्णु का एक नाम भी है, जो असीम और अंतहीन ब्रह्मांड के प्रतीक हैं. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, ताकि हमें सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन मिल सके.

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

  1. व्रत और संकल्प: इस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर पूजा का संकल्प लें और मन ही मन भगवान विष्णु को याद करें.
  2. कलश स्थापना और पूजा: पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित करें. उस पर कुश से बने 'अनंत' (जिसे अक्सर धागे के रूप में दर्शाया जाता है) की स्थापना करें. कुछ लोग एक छोटा सा नाग (शेषनाग, भगवान विष्णु का आसन) भी स्थापित करते हैं.
  3. अनंत सूत्र का महत्व: इस दिन खास तौर पर अनंत सूत्र या अनंत धागा बांधा जाता है. यह एक लाल रंग का सूती धागा होता है जिसमें 14 गांठें होती हैं. इन गांठों को भगवान विष्णु के 14 लोकों या 14 गुणों का प्रतीक माना जाता है. पूजा के बाद इसे पुरुष दाएं हाथ की कलाई पर और महिलाएं बाएं हाथ की कलाई पर बांधती हैं. माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुखों और परेशानियों से बचा रहता है.
  4. मंत्र जाप और भोग: भगवान विष्णु के 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें. उन्हें पीले फूल, फल, नैवेद्य (जैसे खीर या पीले रंग की मिठाई) का भोग लगाएं.
  5. अनंत चतुर्दशी आरती: पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और घर के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें.

गणेश विसर्जन का महत्व

अनंत चतुर्दशी का दिन गणेश भक्तों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह गणेशोत्सव के समापन का दिन होता है. इस दिन भक्तगण, जो गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर लाते हैं, उन्हें धूम-धाम से विसर्जित करते हैं. गणेश विसर्जन करते समय भक्तगण 'गणपति बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का जयकारा लगाते हैं और कामना करते हैं कि भगवान गणेश अगले साल फिर उनके घरों में पधारें.

यह दिन हमारी संस्कृति और आस्था का एक अद्भुत संगम है, जो भगवान विष्णु की असीम शक्ति और भगवान गणेश की विदाई के आनंद और दुख को एक साथ समेटे हुए है.

 

--Advertisement--