US Tech layoffs : एक सर्वे जो अमेरिका की नींद उड़ा देगा, 65% भारतीय अब अमेरिका में काम नहीं करना चाहते
News India Live, Digital Desk: कभी अमेरिका में नौकरी करना, ख़ासकर सिलिकॉन वैली में, लाखों भारतीय युवाओं का सबसे बड़ा सपना हुआ करता था. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. H-1B वीज़ा को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और कड़े नियमों के चलते कई भारतीय पेशेवर अब अपना "अमेरिकन ड्रीम" छोड़कर वापस आने या किसी और देश जाने का मुश्किल फैसला ले रहे हैं.
घरों में चिंता का माहौल है, भारत में परिवार के साथ लंबी वीडियो कॉल्स पर भविष्य की योजनाओं पर बात हो रही है और दोस्तों के ग्रुप चैट्स में बस एक ही सवाल है - “आगे क्या होगा?” यह सिर्फ कुछ लोगों की कहानी नहीं, बल्कि अमेरिका में काम कर रहे हज़ारों भारतीय परिवारों की सच्चाई बनती जा रही है.
आखिर यह बेचैनी और डर है क्यों?
इस घबराहट के पीछे कई बड़ी और ठोस वजहें हैं:
- नौकरी जाने का डर और 60 दिन का अल्टीमेटम: अमेरिका में हाल के समय में बड़ी टेक कंपनियों में हुई छंटनी ने भारतीय पेशेवरों को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है. H-1B वीज़ा धारक अगर अपनी नौकरी खो देता है, तो उसे सिर्फ 60 दिनों के अंदर नई नौकरी ढूंढनी होती है. अगर ऐसा नहीं होता, तो उसे परिवार समेत देश छोड़कर वापस जाना पड़ता है. इतने कम समय में नई नौकरी खोजना, जो वीज़ा स्पॉन्सर करने को भी तैयार हो, लगभग नामुमकिन सा हो गया है.
- लगातार बदलते और सख्त होते नियम: ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा नियमों को लगातार सख़्त किया है अब लॉटरी सिस्टम की जगह वेतन के आधार पर वीज़ा देने की बात हो रही है. इसका मतलब है कि जिनकी सैलरी ज़्यादा होगी, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी. इससे कम सैलरी पर काम करने वाले या करियर की शुरुआत कर रहे युवाओं के लिए मौके लगभग खत्म हो जाएंगे.
- डिपोर्टेशन (देश निकाला) का बढ़ता ख़तरा: कई लोगों ने अपने या अपने जानने वालों के साथ हुए बुरे अनुभव साझा किए हैं. कुछ मामलों में तो नौकरी जाने के कुछ ही हफ्तों के भीतर "देश छोड़ने का नोटिस" (Notice to Appear) तक भेज दिया गया, जबकि 60 दिन का समय भी पूरा नहीं हुआ था. इस नोटिस का मतलब है कि आपके ऊपर डिपोर्टेशन की कार्यवाही शुरू हो सकती है, जिससे भविष्य में अमेरिका में वापसी पर हमेशा के लिए रोक लग सकती है.
- महसूस हो रहा है कि 'अब हमारी ज़रूरत नहीं': एक सर्वे में जब भारतीय पेशेवरों से पूछा गया कि अगर उन्हें दोबारा मौका मिले तो क्या वे काम के लिए अमेरिका को चुनेंगे, तो 65% लोगों का जवाब 'नहीं' या 'पता नहीं' में था.यह आंकड़ा बताता है कि अमेरिका में काम करने का आकर्षण अब फीका पड़ रहा है. लोगों को अब वहां के सिस्टम में पहले जैसा भरोसा और अपनेपन का एहसास नहीं रहा.
"अब घर लौटना ही बेहतर है"
इन सभी कारणों से, कई भारतीय अब 'सेल्फ-डिपोर्ट' कर रहे हैं, यानी वे किसी दबाव का इंतज़ार किए बिना खुद ही देश छोड़कर जा रहे हैं. एक सर्वे के मुताबिक, नौकरी जाने की स्थिति में 45% भारतीय पेशेवर वापस भारत लौटना चाहेंगे. हालांकि, वापस आने पर सैलरी कम होना (25%) और लाइफस्टाइल में बदलाव (24%) जैसी चिंताएं भी उन्हें सताती हैं.
यह सिर्फ एक वीज़ा पॉलिसी का संकट नहीं है, बल्कि उन हज़ारों टैलेंटेड लोगों के सपनों का संकट है, जिन्होंने अपनी मेहनत से अमेरिकी कंपनियों को दुनिया में टॉप पर पहुंचाया. लेकिन अब अनिश्चित भविष्य के डर ने उन्हें उस सपने को छोड़कर एक नई राह तलाशने पर मजबूर कर दिया है.
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