UPI Digital Payment: 80% UPI पर सिर्फ दो ऐप्स का कब्जा, डिजिटल पेमेंट में बढ़ा बड़ा खतरा
UPI डिजिटल भुगतान: भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली तेज़ी से आगे बढ़ रही है, लेकिन एक बड़ी चिंता यह भी उभर कर सामने आई है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) पर होने वाले कुल लेनदेन का 80% सिर्फ़ दो मोबाइल ऐप के ज़रिए होता है। इससे पूरी प्रणाली पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता का ख़तरा पैदा हो गया है।
इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (IFF) ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। IFF के अनुसार, अगर इन दोनों में से कोई भी ऐप तकनीकी खराबी, साइबर हमले या नीतिगत विवाद के कारण बंद हो जाता है, तो पूरे UPI सिस्टम पर गंभीर असर पड़ सकता है।
सितंबर 2025 के आँकड़े
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार:
-19.63 बिलियन लेनदेन
कुल मूल्य: 24.90 लाख करोड़
ये आंकड़े बताते हैं कि यूपीआई भारत की नकदी रहित अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन गया है, लेकिन बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हो रही है।
समस्या क्या है?
यदि केवल दो ऐप्स पर इतनी निर्भरता है, तो:
- छोटे और नए थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स (टीपीएपी) को आगे आने का मौका नहीं मिलेगा
- नए विचारों और नवाचार में कमी आएगी
- एकाधिकार का खतरा बढ़ेगा
क्या किया जाए?
आईएफएफ ने सुझाव दिया है कि:
- यूपीआई प्रोत्साहन नीति को संशोधित करें
- छोटे टीपीएपी को अधिक प्रोत्साहन दें
- बाजार में विविधता और प्रतिस्पर्धा बनाए रखें
इससे डिजिटल इंडिया का सपना और मज़बूत होगा और यूपीआई की स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। देखना यह है कि आरबीआई और एनपीसीआई इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करते हैं।
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