UP ATS Big Reveal : WhatsApp पर चल रहा था आतंक का स्कूल, लड़कियों को पढ़ाती थी शाहीन और लड़कों को परवेज़

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News India Live, Digital Desk:  UP ATS Big Reveal : यह कोई आम ऑनलाइन क्लास नहीं थी, जहां बच्चे ABC या गणित के सवाल सीख रहे थे। यहां WhatsApp ग्रुप पर वीडियो कॉल के जरिए दी जा रही थी 'आतंक' की शिक्षा। उत्तर प्रदेश (UP) एटीएस द्वारा हाल ही में पकड़े गए ISIS के एक बड़े आतंकी मॉड्यूल की जांच में एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के भी होश उड़ा दिए हैं।

यह आतंकी संगठन बाकायदा एक 'डिजिटल आतंकी स्कूल' चला रहा था, जिसका मकसद था भोले-भाले और कम उम्र के लड़के-लड़कियों को कट्टर बनाना और उन्हें आतंक की दुनिया में धकेलना। इस स्कूल को चलाने के लिए लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग 'टीचर' भी रखे गए थे।

लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग 'मास्टरमाइंड'

एटीएस की जांच में सामने आया है कि इस 'ऑनलाइन मदरसे' में लड़कियों का ब्रेनवॉश करने की ज़िम्मेदारी शाहीन नाम की एक महिला को दी गई थी, जबकि लड़कों को कट्टर बनाने का काम परवेज़ नाम का आतंकी करता था।

  • शाहीन का काम: शाहीन खासतौर पर लड़कियों और महिलाओं से जुड़ती थी। वह वॉट्सऐप ग्रुप पर वीडियो कॉल के ज़रिए उन्हें ISIS की विचारधारा सिखाती थी, उन्हें कट्टरपंथी साहित्य पढ़ाती थी और आतंक को 'जिहाद' का सही रास्ता बताती थी।
  • परवेज़ का काम: वहीं, परवेज़ की ज़िम्मेदारी लड़कों को अपने जाल में फंसाने की थी। वह लड़कों को ISIS के ख़तरनाक वीडियोज़ दिखाता था, जिनमें हिंसा और क्रूरता को शान से दिखाया जाता था। उसका मकसद था लड़कों को मानसिक रूप से इतना मज़बूत (कट्टर) कर देना कि वे किसी भी आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए तैयार हो जाएं।

कैसे काम करता था यह 'डिजिटल आतंकी स्कूल'?

इस पूरे नेटवर्क को बहुत ही शातिर तरीके से चलाया जा रहा था ताकि सुरक्षा एजेंसियों की नज़र से बचा जा सके।

  • विदेशी सिम वाले वॉट्सऐप ग्रुप: ये लोग التواصل के लिए कई वॉट्सऐप ग्रुप चलाते थे। पकड़े जाने से बचने के लिए वे अक्सर विदेशी नंबरों वाले सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे।
  • वीडियो कॉल पर क्लास: हफ़्ते में कई बार वीडियो कॉल के ज़रिए इनकी 'क्लास' लगती थी, जिसमें युवाओं को ISIS के आतंकियों के भाषण सुनाए जाते थे और उनसे सवाल-जवाब किए जाते थे।
  • हिजरत के लिए उकसाना: इस पूरी 'पढ़ाई' का अंतिम लक्ष्य इन युवाओं को 'हिजरत' (यानी ISIS के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जाना) के लिए तैयार करना था, ताकि वहां उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग देकर एक ख़तरनाक आतंकी बनाया जा सके।

एटीएस अब इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों की तलाश में जुट गई है। यह खुलासा इस बात की गंभीर चेतावनी देता है कि आतंकी संगठन अब हमारे घरों में, हमारे बच्चों के मोबाइल फ़ोन के ज़रिए दस्तक दे रहे हैं, जिससे सावधान रहना बेहद ज़रूरी है।

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