Untold secret of Mahabharata: अर्जुन से पहले किसे मिला था श्रीकृष्ण द्वारा गीता का दिव्य ज्ञान
News India Live, Digital Desk:Untold secret of Mahabharata: भगवद् गीता, हिंदू धर्म का एक ऐसा अनुपम ग्रंथ है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म, कर्म, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष का सार बताया है। कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन को दिए गए उपदेश के रूप में यह ज्ञान हमें प्राप्त हुआ, लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भगवान कृष्ण ने यह दिव्य ज्ञान अर्जुन से भी पहले कई अन्य महान आत्माओं को प्रदान किया था। महाभारत में स्वयं श्रीकृष्ण ने इसका उल्लेख किया है।
भगवद् गीता के चौथे अध्याय में, भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि उन्होंने यह अमर ज्ञान सबसे पहले सूर्य देव विवस्वान को प्रदान किया था। इसके बाद सूर्य देव ने यह ज्ञान अपने पुत्र मनु मनु महाराज या वैवस्वत मनु को दिया, जो पृथ्वी पर मानवता के जनक माने जाते हैं। मनु से यह ज्ञान उनके पुत्र और प्रख्यात राजा इक्ष्वाकु तक पहुँचा, जिन्होंने अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओं की नींव रखी।
इस तरह यह पवित्र ज्ञान राजाओं की इस महान परंपरा से होते हुए आगे बढ़ता रहा, लेकिन समय के साथ यह ज्ञान पृथ्वी पर धीरे-धीरे लुप्त होता गया, या इसका वास्तविक अर्थ विकृत हो गया। तभी भगवान कृष्ण ने धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना और मानवता के उद्धार के लिए इसे अर्जुन के माध्यम से पुनः प्रकट किया। यह सिर्फ एक युद्ध के मैदान में दिया गया उपदेश नहीं था, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन का एक शाश्वत स्रोत है।
यह रहस्योद्घाटन इस बात को स्पष्ट करता है कि भगवद् गीता का ज्ञान किसी विशेष समय या व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सनातन और सार्वभौमिक है। यह उस अनंत ज्ञान का प्रतीक है जो सृष्टि की शुरुआत से ही विद्यमान रहा है और हर युग में उपयुक्त माध्यमों से प्रकट होता रहता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सत्य का मार्ग शाश्वत होता है, भले ही उसे सुनने वाले और प्रचारित करने वाले बदल जाएँ।
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