Unprecedented growth in India-Russia trade : जयशंकर का मॉस्को दौरा और 500 अरब डॉलर के निवेश का आह्वान

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News India Live, Digital Desk: Unprecedented growth in India-Russia trade :  भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के मॉस्को दौरे ने भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है. जयशंकर ने रूसी कंपनियों से भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति का हिस्सा बनने और अगले तीन दशकों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अतिरिक्त $4 ट्रिलियन जोड़ने के लक्ष्य में योगदान करने का आह्वान किया है. उनका यह निमंत्रण दोनों देशों के बीच व्यापारिक और निवेश संबंधों को नए स्तर पर ले जाने की भारत की उत्सुकता को दर्शाता है.

मंत्री जयशंकर ने उल्लेख किया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर लगभग $60-65 बिलियन हो गया है. उनका यह भी कहना था कि पारंपरिक क्षेत्रों जैसे तेल, कोयला और उर्वरक के परे दोनों देशों को नए क्षेत्रों में सहयोग के अवसर तलाशने चाहिए. भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जहां आयात मुख्य रूप से तेल, कोयला और उर्वरक तक सीमित हैं, वहीं वे सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, उपकरण, धातु विज्ञान, ऑटोमोटिव क्षेत्र और विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं सहित कई भारतीय उत्पादों और सेवाओं में रूस की भागीदारी बढ़ाना चाहते हैं. यह व्यापार की संरचना में विविधता लाने के भारतीय प्रयासों का एक संकेत है, ताकि यह अधिक संतुलित और टिकाऊ हो सके.

मंत्री ने आगे जोर दिया कि रूसी कंपनियों को भारत में महत्वपूर्ण निवेश की संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए, जो कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले कुछ वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है. उन्होंने भारत की मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिति और स्थिर निवेश माहौल का भी उल्लेख किया, जिसे विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है. जयशंकर ने व्यापार से संबंधित भुगतान मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर भी जोर दिया. दोनों देशों के बीच भुगतान तंत्र को सुचारू बनाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, खासकर पश्चिमी प्रतिबंधों के आलोक में.

भारत की योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में तेजी से बदलाव को रेखांकित करते हुए, जयशंकर ने अगले दो से तीन दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग $30-40 ट्रिलियन तक विस्तारित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. उनका संदेश स्पष्ट था: रूसी व्यापारों को भारतीय विकास गाथा में सक्रिय भागीदार बनना चाहिए, न केवल उत्पादों के लिए एक बाजार के रूप में बल्कि विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और निवेश के लिए भी. यह दौरा दोनों देशों के बीच गहरे और अधिक व्यापक आर्थिक सहयोग के लिए एक नई रूपरेखा तैयार करता है, जो रणनीतिक स्वायत्तता और पारस्परिक विकास पर केंद्रित है.

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