Unique belief in Narayanpur Chhattisgarh: यहाँ नवविवाहित दूल्हे आत्मा घर में जाकर लेते हैं पूर्वजों का आशीर्वाद
News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ का नारायणपुर जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है। लेकिन इस जिले में एक ऐसी अनूठी और रहस्यमय परंपरा प्रचलित है, जो लोगों को हैरत में डाल देती है – यहाँ ग्रामीणों द्वारा अदृश्य 'आत्माओं' को पूजे जाने और उनसे नवविवाहित जोड़ों के लिए आशीर्वाद लेने की प्रथा है। यह परंपरा इस क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जिसे लोग बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ सदियों से निभाते आ रहे हैं।
यहाँ के ग्रामीणों की गहन आस्था है कि ये पूजनीय 'आत्माएं' या 'पितर' किसी विशेष स्थान पर, जिसे वे 'आत्मा घर' या 'भूतघर' भी कहते हैं, में निवास करती हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ग्रामीण देवता समान पूजते हैं और उनका मानना है कि ये आत्माएं पूरे गाँव की सुरक्षा करती हैं, फसलों में समृद्धि लाती हैं, और हर तरह की विपदा से समुदाय की रक्षा करती हैं। गाँव के बड़े-बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक, सभी इस आस्था में गहरी पैठ रखते हैं।
इस परंपरा का सबसे अनूठा और विशिष्ट पहलू यह है कि जब गाँव का कोई युवक विवाह करके अपनी नवविवाहित दुल्हन के साथ पहली बार घर लौटता है, तो दुल्हन के घर में औपचारिक प्रवेश करने से पहले दूल्हे के लिए 'आत्मा घर' जाकर इन पूजनीय आत्माओं से आशीर्वाद लेना अनिवार्य होता है। दूल्हा, पूरे रीति-रिवाज और धार्मिक आस्था के साथ यहाँ आता है और उनसे अपने भावी दांपत्य जीवन के लिए सुख, शांति, संतान सुख और समृद्धि की प्रार्थना करता है। यह मान्यता है कि इन आत्माओं की कृपा के बिना नवविवाहित जोड़े का जीवन पूर्ण रूप से सुखी नहीं हो सकता।
ग्रामीणों का अटूट विश्वास है कि यदि यह रस्म पूरी निष्ठा से नहीं निभाई जाती है, तो दूल्हा और दुल्हन को उनके वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रथा सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की गहरी आध्यात्मिक समझ और अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान को दर्शाती है, जहाँ अलौकिक शक्तियों को जीवन का अभिन्न अंग माना जाता है। आधुनिकता के इस दौर में भी, नारायणपुर के ग्रामीण अपनी इस पुरातन परंपरा को बड़ी लगन से निभा रहे हैं, जो उनकी सांस्कृतिक विरासत और अपनी मान्यताओं के प्रति अटूट आस्था का प्रमाण है। यह प्रथा छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शायद सबसे अनोखी और विशिष्ट मान्यताओं में से एक है, जो हमें लोक संस्कृति के गहरे आयामों से रूबरू कराती है।
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