Thursday fast: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और कार्यों में सफलता पाने के अचूक उपाय
News India Live, Digital Desk: गुरुवार का दिन हिंदू धर्म में भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और उनकी पूजा करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि, धन-धान्य और ऐश्वर्य लाता है। इसके अलावा, यह वैवाहिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करता है और अविवाहितों के शीघ्र विवाह के योग बनाता है। गुरुवार के व्रत से कुंडली में कमजोर गुरु ग्रह को बल मिलता है, जिससे करियर, शिक्षा और धन संबंधी मामलों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
व्रत के नियम और विधि:
गुरुवार का व्रत पौष माह को छोड़कर किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू किया जा सकता है। यह व्रत 16 गुरुवार तक किया जाता है। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या बृहस्पति देव का चित्र स्थापित करें। इसके बाद उन्हें पीले रंग के फूल, चंदन, अक्षत, केला, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें। सत्यनारायण की कथा पढ़ना या सुनना विशेष फलदायी माना जाता है।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
गुरुवार के दिन केला खाना वर्जित माना गया है, क्योंकि केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है।
इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि पीली वस्तुओं से बने भोजन जैसे चने की दाल का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
गुरुवार को बाल कटवाना, दाढ़ी बनवाना, नाखून काटना, कपड़े धोना या सिर धोना अशुभ माना जाता है।
घर में सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आर्थिक तंगी आ सकती है।
भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए इस दिन पीले वस्त्र पहनें और पानी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर स्नान करें।
ॐ बृ बृहस्पते नमः" मंत्र का जाप करना गुरु ग्रह को मजबूत करने और धन लाभ के लिए शुभ होता है।
पीली वस्तुओं जैसे चना, दाल, गुड़, पीला कपड़ा आदि का दान करना भी अत्यंत पुण्यदायी होता है।
गुरुवार व्रत कथा का सार:
एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक साधु ने एक राजा को बताया कि अगर वह अपने घर को गोबर से लीपे, अपनी केशों को पीली मिट्टी से धोए, हजामत बनवाए, मांसाहारी भोजन करे और कपड़े धोबी को धुलने डाले, तो उसके घर की सारी संपत्ति नष्ट हो जाएगी। रानी ने इन बातों का पालन किया, जिससे उनका सारा धन नष्ट हो गया। जब साधु फिर आए, तो उन्होंने बताया कि वह अपनी गरीबी के लिए स्वयं जिम्मेदार है। साधु के निर्देशानुसार, रानी ने केले के पेड़ और बृहस्पति भगवान की पूजा की, तथा व्रत कथा पढ़ी। इससे उनके दुखों का अंत हुआ और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।
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