बॉलीवुड में दोस्ती नहीं, सिर्फ मतलब का रिश्ता है, चेतन भगत ने खोली इंडस्ट्री की पोल

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News India Live, Digital Desk: मशहूर लेखक चेतन भगत, जिनकी किताबों पर '3 इडियट्स' और '2 स्टेट्स' जैसी सुपरहिट फिल्में बनी हैं, ने बॉलीवुड को लेकर कुछ ऐसी बातें कही हैं जो इंडस्ट्री की चकाचौंध के पीछे की सच्चाई को सामने लाती हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि बॉलीवुड में कोई सच्ची दोस्ती नहीं होती, यहां सब कुछ मतलब और फायदे पर टिका होता है।

"फिल्म अनाउंस होते ही घर आने लगते थे गिफ्ट"

एक हालिया इंटरव्यू में चेतन भगत ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब भी उनकी किसी किताब पर फिल्म बनने की घोषणा होती थी, तो उनके घर पर तोहफों और मिठाइयों की लाइन लग जाती थी। लोग ऐसा इसलिए करते थे ताकि उन्हें फिल्म में कोई रोल मिल सके। हालांकि, चेतन इसे गलत नहीं मानते, वे कहते हैं, "मैं उन्हें दोष नहीं देता, यह उनके संघर्ष का हिस्सा है। आप इसे स्वार्थ कह सकते हैं या उनका स्ट्रगल।"

"हिट हो तो सब पूछेंगे, फ्लॉप हो तो कोई नहीं"

चेतन ने बॉलीवुड के रिश्तों की सच्चाई बयां करते हुए कहा कि यहां आपकी कीमत आपकी सफलता से तय होती है। उन्होंने बताया कि जब उनकी फिल्में हिट हो रही थीं, तो उन्हें इंडस्ट्री के बड़े-बड़े एक्टर्स जन्मदिन पर बधाई देते थे, जिन्हें वे जानते तक नहीं थे। लेकिन जैसे ही चर्चा कम हुई, संदेश आने भी बंद हो गए।

उनके मुताबिक, बॉलीवुड एक "डील-मेकिंग फैक्ट्री" की तरह है, जहां दोस्ती का दिखावा तो किया जाता है, लेकिन असल में कोई किसी का सगा नहीं होता। यह एक बेहद असुरक्षित इंडस्ट्री है, जहां बड़े से बड़ा स्टार भी तीन फिल्में फ्लॉप होते ही गायब हो सकता है।

"शोहरत एक नशे की तरह है"

चेतन भगत का मानना है कि बॉलीवुड में शोहरत एक नशे की तरह है और मुंबई की हवा में यह नशा घुला हुआ है। इसी नशे से दूर रहने के लिए अब वे अपना ज्यादातर समय दुबई में बिताते हैं, जहां उन्हें कोई नहीं पहचानता और वे सुकून से अपना लिखने का काम कर पाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब वे फिल्मों में बहुत ज्यादा शामिल नहीं होना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि तीन फिल्मों के पीछे भागने में उनके 10 साल निकल जाएंगे और जिन लोगों के साथ वे काम करेंगे, वे भी सबसे अच्छे लोग नहीं होंगे।

चेतन भगत के इन बयानों ने एक बार फिर बॉलीवुड के अंदर की उस दुनिया पर रोशनी डाली है, जो बाहर से जितनी ग्लैमरस दिखती है, अंदर से उतनी ही खोखली और मतलबपरस्त है।

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