छठी मैया की वो कथा, जिसने छठ महापर्व को दिया नया अर्थ! जानें क्यों पूजी जाती हैं सूर्य देव की प्रिय बहन?
News India Live, Digital Desk: छठ महापर्व (Chhath Mahaparva) अपनी अनूठी परंपराओं और व्रतों के लिए जाना जाता है। इस पर्व में जहां सूर्य देव (Surya Dev) की उपासना का विधान है, वहीं छठी मैया (Chhathi Maiya) की भी पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठी मैया कौन हैं और क्यों छठ महापर्व पर इन्हें पूजा जाता है? आइए, इस व्रत कथा (Vrat Katha) के माध्यम से इसके पीछे की पूरी कहानी जानते हैं।
छठी मैया का रहस्यमयी नाता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है। कुछ कथाओं में उन्हें कार्तिक मास की छठी तिथि से उत्पन्न हुई लोक देवी (Folk Deity) भी कहा गया है। एक मान्यता यह भी है कि उन्हें सृष्टि की रक्षा करने वाली माता के रूप में पूजा जाता है।
कथा 1: छठी मैया और उनका वरदान
ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का संबंध सीधे सूर्य देव की बहन, छठी मैया से है। कहा जाता है कि जो महिलाएं निष्ठापूर्वक और पूरी श्रद्धा के साथ छठी मैया की पूजा करती हैं, उन्हें छह तरह के कुकर्मों (Calamities/Sins) से मुक्ति मिलती है। इसलिए इसे "छठ" महापर्व कहा जाने लगा। यह भी माना जाता है कि ये मां देवकी की बड़ी बहन थीं, जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था। तब उन्होंने सूर्य देव की आराधना की और उनसे वरदान मांगा कि वे उन्हें संतान सुख दें।
कथा 2: राजा सुरथ और संझौली मैया
एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में राजा सुरथ नाम के एक प्रतापी शासक थे। एक बार उनकी प्रजा ने उन्हें एक ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर किया जो उनके सिद्धांतों के विरुद्ध था। इससे दुखी होकर उन्होंने राज्य छोड़ दिया और वन में तपस्या करने लगे। वहां उन्होंने देवी दुर्गा का अंश, संझौली मैया (जिन्हें छठी मैया भी कहा जाता है) की आराधना की। देवी प्रसन्न हुईं और राजा को निष्ठापूर्वक छठ व्रत करने का निर्देश दिया। राजा ने व्रत रखा, जिससे उनकी सभी प्रजा को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। इसी से छठ पर्व की शुरुआत हुई, जिसमें सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा का विधान जोड़ा गया।
छठी मैया की पूजा का महत्व:
छठ पूजा में सूर्य देव को जल अर्पित करने के साथ-साथ छठी मैया की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि माना जाता है कि वही बच्चों को दीर्घायु और कष्टों से रक्षा का वरदान देती हैं। व्रती महिलाएं पुत्र-पुत्री की प्राप्ति, परिवार की सुख-समृद्धि और उनकी लंबी आयु की कामना के लिए इस कठिन व्रत को करती हैं।
इस प्रकार, छठ महापर्व सिर्फ सूर्य देव की आराधना का पर्व नहीं, बल्कि छठी मैया के प्रति गहरी आस्था और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है।
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