फ़िल्म तो बनी, लेकिन टूटी सड़क पर हिचकोले खा रही? जानिए क्या गड़बड़ कर गई तू मेरी मैं तेरा
News India Live, Digital Desk : बॉलीवुड में इन दिनों लव स्टोरीज़ का एक अलग ही अंदाज़ देखने को मिल रहा है. कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे स्टारर 'तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी' भी ऐसी ही एक नई पेशकश है, जो बाहर से तो बड़ी शानदार और स्टाइलिश दिखती है, लेकिन कहानी के मामले में थोड़ी उलझी हुई सी है. इसे देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे कोई महंगी गाड़ी हो, पर वह एक उबड़-खाबड़ और टूटी सड़क पर दौड़ रही हो – चमकदार तो है, पर सवारी उतनी आरामदायक नहीं!
फिल्म का कॉन्सेप्ट और उसे दिखाने का तरीका, यानी उसकी मेकिंग बहुत स्वैंकी (शानदार) और मॉडर्न है. डायरेक्टर ने कहानी में ताज़गी लाने की पूरी कोशिश की है. कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे दोनों ही आजकल के यूथ के बीच काफी पॉपुलर हैं और उनका तालमेल भी पर्दे पर ठीकठाक दिखता है. कुछ पल ऐसे हैं जो आपको हंसाएंगे और कुछ आपको पसंद भी आएंगे, जैसे गाने और फिल्म की चकाचौंध.
लेकिन जहाँ फिल्म चमकदार है, वहीं इसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी इसकी कहानी में आती है. फिल्म एक ऐसे रास्ते पर चलती है, जो साफ-सुथरा लगने के बावजूद कभी-कभी समझ से परे लगने लगता है. कई जगह ऐसा लगता है जैसे डायरेक्टर कहानी को पूरी तरह से मज़बूत बनाने की बजाय बस चमकदार सीन्स से भरते गए हैं. भावनात्मक जुड़ाव की कमी भी महसूस होती है. कहानी कभी कॉमेडी की तरफ ज़्यादा झुक जाती है तो कभी भावुक होने की कोशिश करती है, लेकिन इस संतुलन को ठीक से बिठा नहीं पाती.
एक्टिंग की बात करें तो, कार्तिक आर्यन अपने जाने-पहचाने अंदाज़ में ही हैं और कॉमेडी में वे ठीक लगे हैं. अनन्या पांडे भी अपने रोल में फिट बैठी हैं, पर उन्हें भी शायद कहानी ने ज़्यादा मौके नहीं दिए हैं कि वे कुछ बहुत अलग करके दिखा पाएं. सपोर्टिंग कास्ट भी अपनी जगह ठीक है.
कुल मिलाकर, 'तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी' एक ऐसी फ़िल्म है जिसे देखते हुए कुछ पल अच्छे लगते हैं, खासकर गाने और कलाकारों की स्टाइल. लेकिन अगर आप एक मजबूत और सुलझी हुई कहानी की उम्मीद लेकर जाएंगे, तो शायद आपको थोड़ा अधूरापन महसूस हो सकता है. यह फिल्म मनोरंजन का एक 'पैकेज़' तो है, पर अंदर की 'सामग्री' कुछ हद तक बिखरती हुई लगती है.
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