तेजस्वी-RJD सावधान ,नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक, भूमिहार वोट साधने के लिए इस दिग्गज को बुलाया वापस
News India Live, Digital Desk: बिहार की राजनीति हमेशा से समीकरणों और रणनीतियों का खेल रही है, और अब इस बिसात पर एक और बड़ा दांव खेला जाने वाला है. पूर्व सांसद और अनुभवी राजनेता अरुण कुमार की एक बार फिर जनता दल यूनाइटेड (JDU) में वापसी होने वाली है, जिसने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. इस वापसी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बड़ा 'मास्टरस्ट्रोक' माना जा रहा है, जिसका सीधा मकसद तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को काउंटर करना और महत्वपूर्ण भूमिहार वोट बैंक में अपनी पैठ को और मजबूत करना है.
कौन हैं अरुण कुमार और क्यों अहम है उनकी वापसी?
- पुराने मित्र और भूमिहार नेता: अरुण कुमार, नीतीश कुमार के पुराने और विश्वसनीय साथियों में से एक रहे हैं. वे बिहार के प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से आते हैं, जिसकी राज्य की राजनीति में गहरी पकड़ और अच्छा खासा वोट बैंक है.
- तेजस्वी-RJD को चुनौती: RJD के लिए यादव और मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से मुख्य आधार रहा है. हालांकि, कुछ हद तक उसने भूमिहार वोटों में भी सेंध लगाने की कोशिश की है. ऐसे में अरुण कुमार की वापसी से नीतीश कुमार भूमिहारों के बीच JDU-BJP गठबंधन की स्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं, ताकि RJD की सेंधमारी को रोका जा सके.
- राजद के खिलाफ ब्राह्मण/भूमिहार समीकरण: RJD पर अक्सर 'MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण' की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है. ऐसे में अरुण कुमार की वापसी से नीतीश कुमार 'AB' (अगड़ी जाति - विशेषकर भूमिहार-ब्राह्मण) वर्ग को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर सकते हैं.
क्या है नीतीश कुमार का गेमप्लान?
नीतीश कुमार अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. अरुण कुमार को वापस बुलाना उनकी उसी रणनीति का हिस्सा है:
- भूमिहार वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना: इस कदम से JDU-NDA गठबंधन को भूमिहार समुदाय के वोटों को consolidate (एकत्र) करने में मदद मिलेगी, जो बिहार की कई सीटों पर निर्णायक साबित हो सकते हैं.
- RJD पर दबाव बनाना: RJD के MY समीकरण के सामने यह भूमिहार फैक्टर लाकर नीतीश RJD पर दबाव बनाना चाहते हैं और अपने गठबंधन को अधिक समावेशी दिखाना चाहते हैं.
- पुराने सहयोगियों को जोड़ना: अरुण कुमार जैसे अनुभवी नेताओं को वापस लाकर नीतीश यह संदेश देना चाहते हैं कि वह पुराने और विश्वसनीय साथियों को महत्व देते हैं.
अरुण कुमार के JDU में लौटने की खबर ने बिहार में राजनीतिक समीकरणों को नया रूप दे दिया है. अब देखना यह है कि यह कदम नीतीश कुमार के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है और तेजस्वी यादव के RJD पर इसका क्या असर पड़ता है. बिहार की चुनावी बिसात पर यह दांव कितना असरदार रहेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा
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