Tax System in India : पेट्रोल, शराब और बिजली पर क्यों नहीं लगता GST, जानिए वो राज जो आपकी जेब पर डालता है सीधा असर

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News India Live, Digital Desk: Tax System in India : साल 2017 में जब भारत में GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू हुआ, तो इसका नारा था 'एक देश, एक टैक्स' (One Nation, One Tax)। इसका मकसद था कि देश भर में लगने वाले अलग-अलग तरह के टैक्स (जैसे वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स) को खत्म करके एक ही टैक्स सिस्टम लाया जाए। आज छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी कार तक पर GST लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी जिंदगी की कुछ सबसे जरूरी चीजें आज भी GST के दायरे से बाहर क्यों हैं?

जी हां, हम बात कर रहे हैं पेट्रोल-डीजल, शराब और बिजली की। ये वो चीजें हैं जिनकी कीमतों का हमारी जेब पर सीधा असर पड़ता है, लेकिन इन पर आज भी पुराने तरीके से ही टैक्स लगता है। आइए जानते हैं कि आखिर इन्हें GST में क्यों शामिल नहीं किया गया है।

वो 3 चीजें जो आज भी हैं GST से बाहर:

  1. पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel): हवाई जहाज के ईंधन (ATF) और नैचुरल गैस को GST में शामिल करने का प्रस्ताव है, लेकिन आम आदमी के इस्तेमाल वाले पेट्रोल और डीजल को इससे पूरी तरह बाहर रखा गया है।
  2. शराब (Alcohol for Human Consumption): इंसानों के पीने वाली शराब पर भी GST नहीं लगता है।
  3. बिजली (Electricity): हमारे घरों में आने वाली बिजली पर भी GST लागू नहीं होता है।

तो फिर इन्हें GST में शामिल क्यों नहीं किया जाता?

इसका जवाब एक शब्द में है - पैसा!

पेट्रोल-डीजल और शराब, केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई का सबसे बड़ा और सबसे आसान जरिया हैं। ये सरकार के लिए 'सोने का अंडा देने वाली मुर्गी' की तरह हैं। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:

  • सरकारों की भारी-भरकम कमाई: इस समय राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर अपनी मर्जी से वैट (VAT) और केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) लगाती है। यह टैक्स कई बार 50% से भी ज्यादा होता है। शराब पर तो राज्यों का टैक्स और भी ज्यादा है।
  • GST में कमाई घटने का डर: अगर इन चीजों को GST में लाया जाता है, तो इन पर ज्यादा से ज्यादा 28% का टैक्स स्लैब ही लग सकता है (GST का सबसे ऊंचा स्लैब)। ऐसे में सरकारों की कमाई एकदम से आधी या उससे भी कम हो जाएगी। कोई भी राज्य अपनी कमाई का इतना बड़ा हिस्सा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: इन चीजों को GST में लाने के लिए GST काउंसिल की मंजूरी जरूरी होती है, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों के वित्त मंत्री होते हैं। जब भी यह बात उठती है, तो ज्यादातर राज्य इसका विरोध करते हैं क्योंकि इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होगा।

अगर पेट्रोल-डीजल GST में आ जाएं तो क्या होगा?

अगर सरकारें मान जाएं और पेट्रोल-डीजल को GST के 28% वाले स्लैब में भी ले आया जाए, तो इनकी कीमतें काफी कम हो सकती हैं। आज हम जो 100 रुपये का पेट्रोल खरीदते हैं, उसकी असली कीमत 50-55 रुपये के आसपास होती है और बाकी का पैसा टैक्स में जाता है। GST में आने से यह टैक्स काफी कम हो जाएगा और आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है।

लेकिन जब तक केंद्र और राज्य सरकारें अपनी कमाई के इस सबसे बड़े स्रोत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होतीं, तब तक पेट्रोल, शराब और बिजली GST से बाहर ही रहेंगे और हमारी जेब पर इनका बोझ बना रहेगा।

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