Tax Reform : जीएसटी से झारखंड को बड़ा घाटा अनुपात 16,000 करोड़ कम राजस्व चुनौती भारी

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News India Live, Digital Desk: Tax Reform : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बावजूद झारखंड राज्य को आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, राज्य को अभी भी सालाना 16,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा उठाना पड़ रहा है, जो राज्य के वित्त प्रबंधन के लिए एक गंभीर विषय है। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि यह बड़ी कमी राज्य के विकास एजेंडा पर सीधा असर डाल रही है।

झारखंड जैसा खनिज संपदा से भरपूर राज्य, जो देश को बड़ी मात्रा में राजस्व देता है, ऐसे में इतनी बड़ी राशि का राजस्व घाटा बेहद चिंताजनक है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि जीएसटी प्रणाली में राज्य को अभी भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को उम्मीद थी कि इससे उनकी कर आय बढ़ेगी और वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, लेकिन झारखंड के लिए यह उम्मीदें पूरी तरह से फलीभूत होती नहीं दिख रही हैं।

यह निरंतर घाटा सीधे तौर पर राज्य के विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं पर असर डालता है। राज्य सरकार को इस कमी की भरपाई के लिए केंद्रीय अनुदान पर अधिक निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे उसकी वित्तीय स्वायत्तता भी प्रभावित होती है। झारखंड ने जीएसटी परिषद की विभिन्न बैठकों में भी कई बार इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जीएसटी के तहत राज्यों को होने वाले इस गंभीर राजस्व घाटे की भरपाई के लिए विशेष उपाय किए जाएं या फिर जीएसटी मुआवजा व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जाए।

यह बड़ी चुनौती झारखंड के आर्थिक भविष्य के लिए चिंता का विषय है, और इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रभावी संवाद और सहयोग की आवश्यकता है ताकि राज्य को उसके वास्तविक आर्थिक योगदान के अनुसार हिस्सा मिल सके और वह अपनी जनता के लिए कल्याणकारी परियोजनाओं को बिना बाधा चला सके।

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